आपकी आर्थिक सुरक्षा का खतरा: 7 प्रकार के नोटिस जिनसे बचने के लिए जरूरी है ये कदम!
इनकम टैक्स नोटिस: आयकर विभाग को सही जानकारी देने में अगर आपने ITR दाखिल करते समय कोई कमी नहीं की है, तो आपको किसी चिंता की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि ऐसा नहीं है और आपने सही जानकारी नहीं दी है, तो आपको इनकम टैक्स विभाग का नोटिस प्राप्त हो सकता है। इस संदर्भ में, निम्नलिखित प्रकार वजहों से आपको नोटिस मिल सकता है।
इनकम टैक्स रिटर्न: आने वाले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए करोड़ों लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर दिया है। इस प्रक्रिया में, लोगों को अपनी कमाई का खुलासा करना होता है और वे अपने आर्थिक संकेतों को साझा करते हैं। आईटीआर भरते समय, सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि कई कारणों से लोगों को इनकम टैक्स विभाग का नोटिस प्राप्त हो सकता है।
आयकर विभाग के नोटिस के मुद्दे को समझना महत्वपूर्ण है, जैसे कि आपने आईटीआर दाखिल करते समय क्या सही जानकारी दी है या नहीं। यदि आपने सही और सटीक जानकारी दी है, तो आपको किसी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अगर आपने इस प्रकार की जानकारी नहीं दी है, तो आपको इनकम टैक्स विभाग के नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
नोटिस प्राप्त होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आयकर विभाग के पास आपके आयकर रिटर्न में कुछ संकेत हो सकते हैं जो वे जांचना चाहते हैं, या आपकी आयकर रिटर्न में त्रुटियाँ हो सकती हैं जिन्हें सुधारने की आवश्यकता हो सकती है।
सही और सटीक जानकारी देने से आप आयकर विभाग के नोटिस से बच सकते हैं और आपकी आयकर प्रक्रिया स्मूद हो सकती है। इसलिए, आईटीआर भरते समय सतर्क रहना और सही जानकारी देना आवश्यक होता है ताकि आपको किसी भी प्रकार के आयकर विभाग के नोटिस से बचाया जा सके।
धारा 143(1) के तहत सूचना: करदाता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जब वह अपने आयकर रिटर्न को धारा 139 या 142(1) के तहत दाखिल करता है, तो उसे धारा 143(1) के तहत एक सूचना प्राप्त हो सकती है। इस सूचना के माध्यम से, आयकर विभाग द्वारा दायर किए गए आय की पुनर्मान्यता की जा सकती है या फिर किसी प्रकार की विसंगति की पूरी जांच की जा सकती है।
धारा 143(1) के तहत कई प्रकार की विसंगतियाँ हो सकती है, जैसे कि आयकर रिटर्न में अंकगणितीय त्रुटियाँ, कटौतियाँ, छूट, भत्ते आदि के गलत दावे की स्थिति, किसी भी नुकसान की अस्वीकृति या टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में दर्शाई गई व्यय की अस्वीकृति, यदि टैक्स ऑडिट लागू होता है, और आयकर रिटर्न में उपलब्ध कुल आय की गणना में उपयुक्त ध्यान दिया नहीं गया है। इन स्थितियों में, आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा सकता है और करदाता से संबंधित स्पष्टीकरण और सुधार की मांग की जा सकती है।
धारा 143(2) के तहत नोटिस: आयकर अधिनियम की धारा 143(2) के तहत, एक करदाता [जिसने धारा 139 या 142(1) के तहत अपना रिटर्न प्रस्तुत किया है] को नोटिस दिया जा सकता है यदि मूल्यांकन अधिकारी (एओ) का मानना हो कि निर्धारित आय नहीं बताई गई है या आत्यधिक हानि की गणना नहीं की गई है या किसी भी तरीके से कम कर का भुगतान नहीं किया गया है। एओ इस नोटिस के माध्यम से करदाता को एओ के कार्यालय में प्रस्तुत होने के लिए कह सकता है या कोई सबूत प्रस्तुत करने के लिए आवश्यकता हो सकती है, जिससे करदाता अपने रिटर्न की सहायता में विश्वास कर सके।
धारा 156 के अंतर्गत मांग हेतु सूचना: आपके पास आईटी अधिनियम की धारा 156 के तहत एक नोटिस प्राप्त हो सकता है, जब मूल्यांकन अधिकारी किसी कर, ब्याज, जुर्माना या अन्य किसी द्वारा देय राशि की मांग करता है। इस तरह की सूचना के तहत, आपको आपकी कर या अन्य वित्तीय कर्मिताओं के साथ किए गए लेन-देन के संदर्भ में निर्धारित समय में संकेत दिया जा सकता है, जिससे आपको संयुक्त बैठक में पेश होने का और आपकी मांग की स्थिति की जानकारी प्राप्त हो सके।
धारा 245 के तहत रिफंड के सेट-ऑफ के लिए सूचना: आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, जब किसी करदाता को रिफंड की आवश्यकता होती है और उसके पास पिछले वित्तीय वर्षों में बकाया कर देनदारी की भी होती है, तो धारा 245 के तहत आयकर विभाग व्यक्तिगत करदाता और उसके करदाता के प्रति नोटिस जारी कर सकता है। इसका मतलब होता है कि यदि कोई करदाता किसी अन्य कारण से रिफंड की आवश्यकता पाता है और उसके पास आयकर देनदारी के भी बकाया होती है, तो उसे उस रिफंड राशि के विरुद्ध अपने आवश्यक कर भुगतान में समायोजित करने के लिए नोटिस दिया जा सकता है।
यदि किसी करदाता को ऐसा नोटिस मिलता है, तो उसे इस सितारे में अपने वित्तीय स्थिति को स्पष्ट और सटीक ढंग से प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही, वह अपने आरोपों का समर्थन करने वाले सबूत प्रस्तुत करके अपने मामले की गुणवत्ता को साबित कर सकता है। करदाताओं को यह ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि वे अपनी वित्तीय विवरण को सावधानीपूर्वक जांचें और सुनिश्चित करें कि उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं, ताकि उन्हें उत्तरप्रदान करने में कोई कठिनाई न हो।
धारा 139(9) के तहत दोषपूर्ण रिटर्न के लिए नोटिस: आयकर विभाग द्वारा धारा 139(9) के तहत जारी किये जाने वाले नोटिस का उद्देश्य यह होता है कि करदाता को रिटर्न में दर्शाई गई जानकारी में सुधार का अवसर मिले। अक्सर, रिटर्न में अधूरी या असंगत जानकारी देने के कारण या किसी अन्य कारणवश रिटर्न को दोषपूर्ण माना जा सकता है, और इस प्रकार के स्थितियों में आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा सकता है।
धारा 142(1) के तहत नोटिस: धारा 142(1) के अन्तर्गत जारी किये जाने वाले नोटिस का मकसद यह होता है कि जब किसी व्यक्ति या इकाई ने पहले ही अपने आयकर रिटर्न को समय पर दाखिल कर दिया हो, लेकिन बाद में अतिरिक्त विवरण और जानकारी जमा करने की आवश्यकता होती है, तो उसे आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जा सकता है। यह नोटिस करदाताओं को उनके रिटर्न में जरूरी और अत्यंत विशेषणिक जानकारी जमा करने का अवसर प्रदान करता है, जो आयकर विभाग के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
धारा 148 के तहत नोटिस: धारा 148 के अंतर्गत जारी किये जाने वाले नोटिस का प्रयोजन यह होता है कि जब आयकर विभाग किसी करदाता के संदिग्ध कम आय के कारण पिछले मूल्यांकन रिटर्न को फिर से खोलता है। ऐसे मामलों में, आयकर विभाग करदाताओं को उनके पूर्व रिटर्न में दी गई जानकारी की सत्यता की जांच करने और उनके आय की गणना को सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी कर सकता है। इस प्रकार के नोटिस का परिणामस्वरूप करदाता को स्पष्टीकरण देने का अवसर मिलता है और वे आयकर विभाग की जांच में सहयोग कर सकते हैं।
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