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बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हमारे दर्जनों दोस्‍त बनते हैं. सभी की जीवन में अपनी अलग अहमियत होती है. हालांकि, इनमें बहुत कम ही होते हैं, जिनसे हम अपने मन की बातें साझा कर पाते हैं. इनमें भी और कम ऐसे मित्र होते हैा, जिनसे हम अपने जीवन से जुड़ी गोपनीय बातें करने में झिझकते नहीं हैं. वहीं, बहुत कम दोस्‍त होते हैं, जिनसे मिलने पर हमें खुशी का अहसास होता है. सामान्‍य तौर पर देखा जाए तो दोस्‍तों के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे बचपन के दोस्‍त, स्‍कूल-कॉलेज के दोस्‍त, पेशेवर मित्र, गांव-कस्‍बे के मित्र. दोस्‍तों और दोस्‍ती पर दुनियाभर में अब तक कई शोध किए हैं. आइए जानते हैं कि शोधकर्ताओं का इस बारे में क्‍या कहना है?

शोधकर्ता ‘मित्रता के प्रकार’ तय करते हैं तो वे इसे मुख्‍य तौर पर तीन या चार श्रेणियों में बांटते हैं. इनमें परिचित, कैजुअल फ्रेंड्स और करीबी या अंतरंग या सबसे अच्‍छे दोस्‍त शामिल हैं. जब बात आती है कि आपको अपने जीवन में कुल कितने मित्रों की असल में जरूरत है तो शोधकर्ताओं के मत अलग हैं. इनमें परिचित मित्र वे होते हैा, जिनसे हम नियमित आधार मिलते हैं या देखते हैं. दूसरे शब्‍दों में कहें तो हम इन्‍हें सामान्‍य तौर पर जानते हैं. इनसे हमें किसी तरह का भावनात्‍मक लगाव नहीं होता है. हम बस इनसे हाय-हैलो या छोटी मोटी बातें कर लेते हैं. वहीं, कैजुअल फ्रेंड्स के साथ हम ऐसी गतिविधियों में शामिल रहते हैं, जिनके मिलकर करना होता है. हालांकि, इनसे हम व्‍यक्तिगत बातें साझा नहीं करते हैं.

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कैसे करें करीबी या अंतरंग मित्र की पहचान?
करीबी दोस्त हमेशा ऐसे परिचितों के रूप में शुरू होते हैं जो कैजुअल फ्रेंड्स में बदल चुके होते हैं. समय बीतने पर आप इनके साथ इतना सहज महसूस करने लगते हैं कि इनसे कुछ व्‍यक्तिगत बातें साझा करने लगते हैं. इनके साथ बाकी मित्रों के मुकाबले ज्‍यादा समय बिताना पसंद करते हैं. करीबी दोस्त की एक और पहचान होती है. अगर किसी मित्र के सामने आप रो सकते हैं या अपने मन की भड़ास निकाल सकते हैं तो आप उसे करीबी दोस्‍त मान चुके हैं. इन पर आप इतना भरोसा करने लगते हैं कि इनसे जीवन के कई रहस्‍य साझा करने में नहीं झिझकते नहीं हैं. इन दोस्‍तों से आप मन खराब होने पर रात के 2 बजे भी बात करने में झिझकते नहीं हैं.

करीबी मित्र आपके साथ अंतरंग होकर जुड़े होते हैं. इनको आप अपने जीवन में झांकने देते हैं

करीबी मित्र आपके साथ अंतरंग होकर जुड़े होते हैं. करीबी मित्रों को आप अपने जीवन के उन पहलुओं में झांकने देते हैं, जहां अमूमन आप किसी को पहुंचने की मंजूरी नहीं देते हैं. इन पर आप सबसे ज्‍यादा भरोसा करने लगते हैं. आप उनको अपनी बातें बताते समय महसूस करते हैं कि ये आपको कभी धोखा नहीं देंगे. कुछ लोग अपने करीबी मित्रों में सिर्फ अपने परिजनों को ही रखते हैं. उदाहरण के लिए दो बहनों के बीच सबसे करीबी मित्रता हो सकती है. ऐसे में जब उनमें से एक की शादी होती है तो उसके पति को पता होता है कि दूसरी बहन भी उनके परिवार का हिस्‍सा बनने वाली है. उनके जीवन के ज्‍यादातर फैसलों में उस बहन की भी सहमति जरूरी होगी.

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अरस्तू ने मित्रता के तीन प्रकार बताए हैं
हजारों साल पहले अरस्तू ने तीन प्रकार की दोस्ती का जिक्र किया था. उन्‍होंने मित्रता को उपयोगिता, आनंद और अच्छा के आधार पर बांटा. उनके मुताबिक, उपयोगिता की दोस्ती को कुछ लोग ‘सुविधा की दोस्ती’ भी कहते हैं. ये वे लोग होते हैं, जिनके साथ हम ऑफिस जाने के लिए कार साझा करते हैं. इनमें वे लोग भी शामिल होते हैं, जो हमारे कहीं बाहर जाने पर हमारे कुरियर, डिलिवरीज लेकर अपने पास रखते हैं. इनमें वे लोग भी हो सकते हैं, जो बस या मेट्रो में हमें रोज मिलते हैं. ऐसे मित्रों पर हम एक सीमा तक छोटे कामों के लिए भरोसा करते हैं, लेकिन उनके साथ अपनी व्‍यक्तिगत या गोपनीय बातें साझा नहीं करते हैं. ये हमारे रोजमर्रा के जीवन में मददगार होते हैं. ऐसे मित्रों को हम जरूरत पूरी होने या शहर बदलने पर भुला देते हैं.

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‘आनंद की दोस्ती’ में हम एकदूसरे के साथ खुशी महसूस करते हैं. हमें एकदूसरे के साथ समय बिताना पसंद होता है.

‘आनंद की दोस्ती’ में हम एकदूसरे के साथ खुशी महसूस करते हैं. हमें एकदूसरे के साथ समय बिताना पसंद होता है. इनमें वे दोस्‍त शामिल होते हैं, जिन्‍हें हम छुट्टी वाले दिन चाय, कॉफी, डिनर या ड्रिंक के लिए आमंत्रित करते हैं. इनमें हमारे पड़ोसी, ऑफिस के सहकर्मी भी हो सकते हैं. इसमें एक से ज्‍यादा वे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिनके लिए हम किसी बड़ी पार्टी का आयोजन करें. ऐसे मित्रों को लेकर आपको हमेशा भरोसा रहता है कि इनके साथ एक दिन बिताने पर आपका मन खुश हो जाएगा. ये दोस्‍त आपको अपनी कुछ परेशानियों से निजात दिलाने में मददगार साबित होते हैं. इन दोस्‍तों के साथ आप जीवन में जब भी मुलाकात करते हैं, कुछ समय के लिए आप खुश हो जाते हैं. ऐसे मित्र बहुत ज्‍यादा डिमांडिंग नहीं होते हैं.

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अच्छे लोगों की दोस्ती आपसी सम्मान, प्रशंसा और उन गुणों के लिए प्रशंसा पर आधारित मित्रता होती है. ऐसी दोस्‍ती समानता, साझा हितों या साझा जीवन के काम के तौर पर शुरू हो सकती है. इसमें दो लोगों के बीच गहरी दोस्‍ती की शुरुआत हो सकती है. दरअसल, साथ ज्‍यादा समय बिताने के कारण दोनों दोस्‍तों की एकदूसरे को लेकर समझ और आत्‍मीयता बढ़ती जाती है. ऐसी दोस्‍ती में आप इस बात को अहमियत देते हैं कि मित्र की ताकत और कमजोरियां आपके जैसी ही हैं या नहीं. ऐसे दोस्‍तों के बीच परस्‍पर विश्‍वास, रिश्‍ते की गुणवत्‍ता और गहराई बाकी से ज्‍यादा होती है. ये दोस्‍ती एकदूसरे के बीच सम्मान और प्रशंसा की भावना से बनी रहती है. इसमें बार-बार या हर हफ्ते मिलना जरूरी नहीं होता है. इसमें दोस्‍त अगर सालों बाद भी मिलते हैं तो गरमाहट पहले जैसी ही होती है.

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विभिन्‍न शोधों में पाया गया है कि जिनके कम से कम पांच दोस्‍त हैं, उनका जीवन ज्‍यादा खुशियों भरा रहा है.

कितने दोस्‍त काफी हैं जिंदगी में खुशी के लिए?
शोधों में पाया गया है कि अकेलापन अवसाद, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी स्थितियों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है. साल 2010 के एक मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि अकेलापन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उतना ही हानिकारक है, जितना कि एक दिन में 15 सिगरेट पीना. साफ है कि अकेलेपन को कम करने के लिए दोस्ती आपके लिए सबसे अच्छी दवा है. शोधकर्ता कैथरीन पियर्सन ने अपने एक लेख में बताया कि आपके कितने दोस्त होने चाहिए. कंसास यूनिवर्सिटी में कम्‍युनिकेशन स्‍टडीज के प्रोफेसर जेफरी हॉल के अनुसार, अगर आप अकेलेपन के असर को कम करना चाहते हैं, तो आपके जीवन में कम से कम एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होना चाहिए. हॉल कहते हैं कि अगर आप बेहतर जीवन जीना चाहते हैं तो आपके एक से अधिक दोस्‍त होने चाहिए.

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मनोवैज्ञानिक रॉबिन डनबर ने अपने शोध में पाया कि मनुष्य एक बार में लगभग 150 कनेक्शन बनाए रखने में सक्षम हैं. इनमें पांच करीबी दोस्तों का समूह भी शामिल है, जिसके बाद अधिक कैजुअल फ्रेंड्स के ग्रुप शामिल होते हैं. पियर्सन लिखती हैं कि 2016 के एक अध्ययन के मुताबिक, कम से कम छह दोस्तों वाले लोगों का जीवनभर स्वास्थ्य अच्‍छा रहा है. वहीं, 2020 के एक अध्ययन में पाया गया कि मध्यम आयु वर्ग की ऐसी महिलाएं सबसे ज्‍यादा खुश रहती हैं, जिनके कम से कम तीन दोस्त हैं.

कैसे पता करें, आपको ज्‍यादा दोस्‍त चाहिए
जीवन में ज्‍यादा दोस्‍तों की जरूरत का पता लगाने के लिए मनोवैज्ञानिक मारिसा फ्रैंको लोगों को खुद से कुछ सवाल पूछने की सलाह देती हैं. उनके मुताबिक, खुद से पूछें कि क्या मुझे अकेलापन महसूस होता है? वह कहती हैं कि अकेलापन एक संकेत या अलार्म सिस्टम की तरह है. साथ ही आपको यह तय करना होगा कि क्या आप नियमित रूप से अलग-थलग महसूस करते हैं. अलग-अलग लोग हमारे अलग-अलग हिस्सों को सामने लाते हैं. इसलिए जब आपके पास बड़ा मित्र समूह होता है, तो आप खुद के ज्‍यादा से ज्‍यादा पक्षों का अनुभव कर पाते हैं. अगर आपको लगता है कि आपका दायरा घट गया है तो यह ज्‍यादा दोस्तों की जरूरत का संकेत देता है. पियर्सन लिखती हैं कि आपके मित्रों की संख्‍या वैसे तो पांच काफी है, लेकिन मित्रों की संख्‍या आपके व्‍यक्तित्‍व पर निर्भर करती है.

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