
मॉर्गन स्टैनली के एक रिपोर्ट में जारी किए गए विश्लेषण में दिखा कि अमेरिका और चीन की रेटिंग में गिरावट के बाद भारत आगे बढ़ रहा है। विदेशी निवेशक और इन्वेस्टमेंट कंपनियों की नजर भारत के ओवरवेट किए जाने पर है, क्योंकि देश की तेजी से बढ़ती इकोनॉमी और बेहतरीन प्रदर्शन के चलते इसके वित्तीय अवसरों में भरोसा है। इस रिपोर्ट में भारत की रेटिंग को दूसरी बार ओवरवेट किया गया है, जो विदेशी निवेशों को देश में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
मॉर्गन स्टैनली के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में पिछले चार महीने में कुछ सकारात्मक उतार-चढ़ाव देखने के बाद रेटिंग को एक्वलवेट से ओवरवेट उन्नत किया गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था को 2031 तक 6.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो विदेशी निवेशकों को देश में आकर्षित कर सकता है। वित्तीय स्थिरता, कैपेक्स और प्रॉफिट आउटलुक में सुधार के चलते भारत के अर्थतंत्र में उछाल आया है। इस बढ़ते हुए माहौल में विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद है, जिससे देश की राजधानी बाजारों में भी तेजी आ सकती है।
साथ ही, मॉर्गन स्टैनली ने चीन की रेटिंग को डाउनग्रेड किया है, जो इस वक्त के लिए उसके विकास और वैल्यूएशन के संबंध में चिंता प्रकट करता है। इसके साथ ही, ताइवान की रेटिंग को भी डाउनग्रेड किया गया है, जो मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषण में इक्वलवेट कर दिया गया है। विदेशी निवेशकों के लिए ये संकेत हैं कि चीन और ताइवान के बाजारों में विकास में कुछ असुरक्षितता हो सकती है। इस दृष्टि से भारत ने विदेशी निवेशकों के लिए अच्छे विकल्प के रूप में साबित हो सकता है।
भारत की रेटिंग में ओवरवेट के फैसले से विदेशी निवेशक और इन्वेस्टमेंट कंपनियों को विश्वास है कि द
ेश की अर्थव्यवस्था में भविष्य में भी बेहतरी देखने की संभावना है। इस रेटिंग के साथ विदेशी निवेशकों को देश के वित्तीय अवसरों के प्रति बढ़ी रुचि हो सकती है और उन्हें भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकता है। इससे देश की अर्थतंत्र में विदेशी निवेश का प्रवेश हो सकता है और बाजार में नए उच्च स्तर तक पहुंच सकता है।
विदेशी रेटिंग एजेंसियों के नजरिए से, भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ विश्वासपूर्वक उतार-चढ़ाव देखने के बाद भारत के वित्तीय अवसरों में विदेशी निवेशकों की रुचि और आकर्षण बढ़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित और अनुकूल बनाने के लिए सरकार के नेतृत्व में कई सुधार हुए हैं, जो विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में और निवेश करने के लिए उत्साहित कर सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक प्रतिक्रिया के चलते विदेशी निवेशकों के भरोसे में और भी सुधार हो सकता है, जो देश के वित्तीय बाजार के लिए अच्छी ख़बर हो सकती है।