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हाइलाइट्स

पहली बार एक गैलेक्सी समूह मे अकेली गैलेक्सी दिखाई दी है.
इसमें कई सारी गैलेक्सी होने के तो संकेत मिले हैं लेकिन गैलेक्सी केवल एक ही है.
यह खुलासा गैलेक्सी के बीच में स्थित सुपरमासिव ब्लैक होल के जेट से पता चला है.

गैलेक्सी का टकराव और विलय कोई नई घटना नहीं है. ब्रह्माण्ड में यह आमतौर पर होने वाली घटना है. ऐसे में बड़ी गैलेक्सी के छोटी गैलेक्सी को निगलने की घटना भी कोई हैरान कर देने वाली नहीं होती है. पर क्या ऐसा हो सकता है कि किसी गैलेक्सी ने अपने आसपास की करीब 100 सभी गैलेक्सी को निगलन लिया हो. जी हां वैज्ञानिकों ने इस तरह की गैलेक्सी भी खोजने का काम किया है जो देखने में बहुत अकेली है लेकिन उसके अध्ययन से पता चला है कि वह अपने साथी गैलेक्सी को खाने के कारण ही इस अकेलेपन का शिकार बनी है. यह जानकारी शोधकर्तों को चंद्रा एक्सरे वेधशाला के आंकड़ों से मिली है.

कितनी पुरानी है गैलेक्सी
वैज्ञानिकों ने गैलेक्सी के साथ ऐसा होने की घटना को 9.2 अरब साल पुरानी घटना पाया है. 3C 297 नाम की यह गैलेक्सी शुरुआती ब्रह्माण्ड के समय के आसपास की है जो रहस्यमयी तरीके से अकेले ही पाई गई है और उसके आसपास कुछ नहीं है, इस गैलेक्सी के आसपास का ही वातावरण संकेत दे रहा है कि इसे करीब सौ गैलेक्सी की समूह का हिस्सा होना चाहिए था.

मिल्की वे  के आकार का समूह
इस गैलेक्सी समूह के बारे में अनुमान लगाया गया है कि यह करीब हमारे मिल्की वे गैलेक्सी के आकार का समूह था. 3C 297 के अकेले होने की बारे में विचार करने पर पर लगता है कि बाकी की सभी गैलेक्सी के साथ कुछ और ही हुआ होगा. इटली के टोर्नियो यूनिवर्सिटी की खगोलविद वेलेंटीना मैसेग्लिया का कहना है कि शोधकर्ता कम से कम मिल्की वे आकार की एक दर्जन गैलेक्सी की समूह मिलने की उम्मीद कर रहे थे जबकि उन्हें केवल एक ही गैलेक्सी मिली.

चंद्रा एक्स रे वेधशाला
शोधकर्तओं को 3C 297 गैलेक्सी के आसपास के वातवारण के आंकड़े चंद्रा एक्स रे वेधशाला से मिले जिसके जरिए उन्होंने गैलेक्सी से आ रहे उच्च ऊर्जा विकिरण का अध्ययन किया जिसमें एक क्वेजार है यानि गैलेक्सी के केंद्र में ऐसा सुपरमासिव ब्लैक होल है जो बहुत ही तेज गति से बहुत ही चमकीले प्रकाश का जेट फेंक रहा है.

गैलेक्सी के केंद्र से ब्लैक होल से एक चमकीली जेट निकलती हुई दिखाई दी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

जेट का माध्यम में बर्ताव
क्वेजार  प्रायः सुपरमासिव ब्लैक होल के ध्रुवों से ही प्लाज्मा की बीम उत्सर्जित करते हैं और इसी विशेषता के कारण वे इस नए नाम से जाने जाते हैं. शोधकर्ताओं को ऐसे संकेत मिले कि ये जेट एक इंटरगैलेक्टिक माध्यम से होते हुए जा रहा है जिसका गैलेक्सी समूह से संबंध है जिसे इंट्राक्ल्स्टर मीडियम कहते हैं.

माध्यम की उपस्थिति के संकेत
इसी माध्यम की गैसे से अंतरक्रिया के कारण इनमें से एक जेट मुड़ गई जिससे इंट्राक्ल्स्टर मीडियम की गैस के होने का पता चला है. दूसरी जेट ने गैलेक्सी से 1.4 लाख प्रकाशवर्ष दूर एक एक्स रे का स्रोत पैदा किया जिससे पता चला कि जेट जरूर गैस से टकराई होगी जिससे वह गर्म होकर एक्स रे विकिरण का उत्सर्जन कर रही होगी. इसके अलावा गैलेक्सी 3C297 के आसपास भारी मात्रा में गर्म गैस भी दिखाई दी है.

केवल विलय की ही संभावना
सभी तीन विशेषताओं से पता चला  कि यह गैलेक्सी एक गैलेक्सी समूह में दूसरी गैलेक्सी से गुरुत्व के जरिए बंध कर एक गैलेक्सी समूह बना रहे थे और अधिक जानकारी के लिए वैज्ञानिकों ने हवाई स्थित जेमिनी प्राकशीय और इफ्रारेड वेधशाला की मदद ली. इससे पता चला कि 3C 297 के पास 19 गैलेक्सी हैं लेकिन वे उससे बहुत ही दूर हैं इससे वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि 3C 297 के आसपास की सभी गैलेक्सी का उसमें विलय हो गया होगा.

केवल विलय की ही संभावना
सभी तीन विशेषताओं से पता चला  कि यह गैलेक्सी एक गैलेक्सी समूह में दूसरी गैलेक्सी से गुरुत्व के जरिए बंध कर एक गैलेक्सी समूह बना रहे थे और अधिक जानकारी के लिए वैज्ञानिकों ने हवाई स्थित जेमिनी प्राकशीय और इफ्रारेड वेधशाला की मदद ली. इससे पता चला कि 3C 297 के पास 19 गैलेक्सी हैं लेकिन वे उससे बहुत ही दूर हैं इससे वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि 3C 297 के आसपास की सभी गैलेक्सी का उसमें विलय हो गया होगा.

इस विलयके बाद से  गैलेक्सी समूह एक जीवाश्म समूह में बदल गया है जिसमें सभी गैलेक्सी एक गैलेक्सी में मिल चुकी हैं. यह अब तक का देखा गया सबसे दूर का जीवाश्म समूह है. और उसकी गैलेक्सी का विलय उससे भी पहले हो चुका होगा. वैज्ञानिकों का कहना हैकि इसकी व्याख्या करना बहुत ही मुश्किल है कि केवल 4.6 अरब सालों में ब्रह्माण्ड में कैसे यह गैलेक्सी तंत्र विकसित कर लिया होगा और उसके बात उसमें विलय भी हो गया होगा. इससे केवल यही पता चलता है कि पहले गैलेक्सी और गैलेक्सी समूह कितनी जल्दी बन जाया करते थे.  यह शोध द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

Tags: Black hole, Galaxy, Research, Science, Space



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