बीते दिनों एक अध्ययन हुआ था जिससे पता चला कि कुरकुरे का पैकेट औसतन 72 प्रतिशत खाली है. यानी उनमें सिर्फ 28 प्रतिशत ही कुरकुरे भरा गया है. आप कहेंगे कंपनी तो धोखा कर रही है. जब इतना बड़ा पैकेट बनाया है तो उसमें सामान भी होना चाहिए. पर एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा साइंटिफिक वजहों से किया जाता है.
ब्रिटेन के स्नैक, नट और क्रिस्प मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार, क्रिस्प बैग में अतिरिक्त जगह उत्पाद को ताज़ा रखने के साथ-साथ सुरक्षित भी रखती है. इसमें बासीपन को रोकने के लिए नाइट्रोजन गैस डाली जाती है. यह वायुरोधी होती है और पैकेट में मौजूद खाद्य पदार्थ को जल्दी खराब होने से बचाती है. इतना ही नहीं, आप देखेंगे कि यह पैकेट तापमान के अनुसार फूलता पिचकता रहता है. जब मौसम ज्यादा गर्म हो तो पैकेट आपको फूला फूला नजर आएगा और जब ठंडी हो तो यह छोटा दिखेगा.
ज्यादा गैस मतलब ज्यादा दिन तक रख सकेंगे
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि अधिकांश इस तरह के क्रिस्प पैकेट को 55 दिन के लिए बनाया जाता है. यानी इसमें रखा सामान 55 दिन तक सबसे अच्छा रहता है. लेकिन पॉपचिप्स जिसमें सबसे ज्यादा नाइट्रोजन गैस भरी जाती है उसे 290 दिनों से भी ज्यादा समय तक रखा जा सकता है. उसमें रखा सामान खराब नहीं होगा. पैकेट ठीक ऊपर तक नहीं भरे जाने का एक और भी कारण है. यह सामान बहुत नाजुक होते हैं और बहुत आसानी से कुचले जा सकते हैं. ऐसा होने से रोकने के लिए भी पैक में हवा डाला जाता है.
खाली जगह का खास नाम भी
आपको बता दें कि इस खाली जगह का भी एक खास नाम है. उद्योग की दुनिया में इसे ‘नॉन फंक्शनल स्लैक फिल’ के नाम से जाना जाता है. स्लैक फिल हर स्नैक्स, नट्स, कैंडी में होता है लेकिन इसकी वजह से वजन कम नहीं होता. अगर यह कहता है कि दो पाउंड हैं, तो दो पाउंड हैं. कई निर्माता तो थोडा ज्यादा भी डाल देते हैं. लेकिन अगर कंटेनर को चार पाउंड रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसमें केवल दो पाउंड हैं, तो जाहिर है कि यह केवल 50 प्रतिशत भरा हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : January 24, 2023, 15:16 IST