‘जब नाश मनुज पर छाता है…’, दिल्ली अध्यादेश बिल पर दिनकर की कविता सुनाकर क्या कुछ बोले AAP सांसद राघव चड्ढा?

मानसून सत्र: सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश वाला विधेयक पेश किया। यह विधेयक लोकसभा में 3 अगस्त को ही पारित हो गया था।


   ‘जब नाश मनुज पर छाता है…’, दिल्ली अध्यादेश बिल पर दिनकर की कविता सुनाकर क्या कुछ बोले AAP सांसद राघव चड्ढा?


जब नाश मनुज पर छाता है.... in ragavh chada

                                                                                           AAP सांसद राघव चड्ढा

Parliament Monsoon Session:

सोमवार (7 अगस्त) को राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पेश किया गया, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने समर्थन को जताया। इस विधेयक को पहले लोकसभा में 3 अगस्त को पारित किया गया था। हालांकि, इस बिल के खिलाफ विपक्ष के साथ-साथ आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने भी आपत्ति जताई। इस मुद्दे पर आप के सांसद राघव चड्ढा ने बिल पेश करते हुए कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता के शेरों का उद्धरण देकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने इस विधेयक को गैर कानूनी कागज़ के टुकड़े के रूप में चिह्नित किया और कहा कि यह असंवैधानिक है और जनता के हित को नुकसान पहुंचाएगा।

दिल्ली सेवा विधेयक के खिलाफ विपक्ष और विभिन्न दलों का आंदोलन जारी है, जिसमें उन्होंने बिल के प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। इस विधेयक के द्वारा दिल्ली के विधायिका सभा (विधायिका) को शक्ति और स्वायत्तता नहीं मिलेगी, जो विपक्ष के मुताबिक़ अधिकारीयों को दिल्ली की स्थानीय समस्याओं का समाधान नहीं करने देगा। इससे आपत्तिजनक भ्रम और बातचीत की शक्ति को कम करने का ख़तरा है। विपक्ष दावा कर रहा है कि बिना विचार किये और स्वीकार किए, बिना स्थानीय प्रतिनिधियों की सलाह और सहयोग के, इस विधेयक को पारित करना संविधान और दिल्ली की स्वायत्तता का उल्लंघन होगा। विपक्ष के इस विरोध के बावजूद, बिल राज्यसभा में पेश हो गया है और इसकी चर्चा अब सदन में होगी।

महाभारत का किया जिक्र

आम आदमी पार्टी के सांसद ने कहा, “मैं महाभारत के एक अंश का जिक्र करना चाहूंगा जिसे कवि रामधारी सिंह दिनकर ने एक बड़ी अच्छी कविता में लिखकर बताया है। इस कविता में भगवान श्री कृष्ण एक शांति दूत बनकर पाड़वों की ओर से शांति का प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर गए थे। वे कौरवों के पास जाकर शांति की बात कहने की कोशिश करते हैं, लेकिन दुर्योधन और उसके बहकाए गए सहयोगियों ने उनके शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह दृश्य उनकी साहसिकता और धैर्य को दर्शाता है, जिससे भगवान कृष्ण के चरित्र की महानता और न्यायपूर्ण विचार उजागर होते हैं।

इस कविता के माध्यम से राघव चड्ढा ने संसद में बिल पेश करते समय एक मुलाकाती स्थिति का उदाहरण दिया है, जो महाभारत के युद्ध से जुड़ी थी। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि वे भी जैसे कृष्ण द्वारा शांति के प्रस्ताव के लिए पाड़वों तक पहुंचे थे, वैसे ही संसद में विपक्ष के माध्यम से वे भी शांति की बात कहने आए हैं। इससे उनकी भविष्य में भी कठिनाइयों का सामना करने की दृढ़ता और साहस का प्रतीक्षा किया जा सकता है। यह उनकी प्रेरक कविता और महाभारत के श्रेष्ठ ग्रंथ के साथ संबंधित उत्तेजना भरी कहानी के माध्यम से भाषण को गहराई और महत्वपूर्णता देता है।

राघव चड्ढा ने सुनाई कविता

आप सांसद ने संसद में दिनकर की कविता पढ़ते हुए इस उत्तरदायी भाव से कहा, “दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान हस्तिनापुर आए, पांडव का संदेशा लाये। दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पांच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम।”

उन्होंने इसके आगे कहा, “हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे। दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की न ले सका, उलटे हरि को बांधने चला, जो था असाध्य साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।”

इस भावपूर्ण भाषण से आप ने महाभारत के महानायक दिनकर की कविता के माध्यम से अपने संवेदनशील विचारों को प्रकट किया। इससे स्पष्ट होता है कि आपकी राजनीतिक समझ और काव्यसंवेदना एक साथ जुड़ी हुई है, जो आपके सार्वभौमिक दृष्टिकोण को बयां करती है।

बीजेपी को याद दिलाया उनके नेताओं का संघर्ष

आप सांसद ने कहा, “ये कविता दिल्ली में लाए गए इस बिल का सार है। हम आज आपके पास न्याय की गुहार लगाने आए हैं, अपना हक मांगने आए हैं, उससे ज्यादा हमें कुछ नहीं चाहिए।”

इससे स्पष्ट होता है कि आप दिल्ली सेवा विधेयक के माध्यम से न्याय की मांग कर रहे हैं और इसे राजनीतिक धोखे के तौर पर बता रहे हैं। आप बीजेपी को दिल्ली में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए किए गए संघर्ष का भी संदर्भ दे रहे हैं। इससे आपका आंदोलन और दिल्ली सरकार के साथ विरोध प्रकट होता है।

“वाजपेयी, आडवाणी की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया”

राघव चड्ढा ने कहा, “1989 के इनके मेनिफेस्टो में पूर्ण राज्य का दर्जा का जिक्र है। यही बात 1999 के मेनिफेस्टो में भी थी। लाल कृष्ण आडवाणी संसद में दिल्ली को अधिकार देने के लिए बिल लाए थे। आज बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी जी की दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की 40 साल की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया है।

उन्होंने यह कथन दिल्ली सेवा विधेयक के पेश किए गए बिल को लेकर किया है। उनके अनुसार, बीजेपी के मेनिफेस्टो में दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के वादे रहे हैं, लेकिन वे इस बिल के माध्यम से उन वादों को नकार रहे हैं। इससे बीजेपी की दिल्ली में किए गए संघर्ष को उजागर किया जा रहा है और उन्होंने उन नेताओं की मेहनत को किया है याद।

“नेहरूवादी मत बनिए”

आप सांसद ने कहा, “जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलना चाहिए। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कहना चाहूंगा कि आप नेहरूवादी मत बनिए, आडवाणीवादी, वाजपेयीवादी बनिए। आज आपके पास दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐतिहासिक मौका है, ये काम करिए।”

उन्होंने आगे कहा, “इस बिल का लाने का असली कारण क्या है। पिछली 25 सालों में दिल्ली में 6 बार विधानसभा के चुनाव हुए। इन सभी चुनावों में बीजेपी बुरी तरह से हारी है। वहीं आप ने दो बार शानदार जीत दर्ज की। ये लोग 25 साल चुनाव नहीं जीत पाए और अरविंद केजरीवाल के रहते हुए अगले 25 साल भी नहीं जीत पाएंगे, इसलिए यहां की सरकार को खत्म करने के लिए इस बिल को लाए हैं।”

“सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहे”

“राघव चड्ढा ने कहा, “इनका एक ही मकसद है आप सरकार को खत्म करो। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा है कि अध्यादेश केवल आपातकालीन या विषम परिस्थिति में ही लाया जा सकता है। ऐसी कौन सी आपातकालीन स्थिति पैदा हो गई थी जो ये अध्यादेश लेकर आए। ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहे। ये हमारे संवैधानिक हक को छीन रहे हैं।”

बिल के प्रावधानों का जिक्र करते हुए राघव चड्ढा ने कहा, “ये बिल कहता है कि दिल्ली के अफसर सीएम की बजाय उपराज्यपाल को रिपोर्ट करेंगे। उनके आदेश मानेंगे। मैं पूछना चाहता हूं कि जब दिल्ली के लोगों को पानी, बिजली, पढ़ाई की समस्या होगी तो क्या वे उपराज्यपाल के पास जाएंगे, जनता को पता है क्या उपराज्यपाल कहां रहते हैं? उन्होंने कौन सा चुनाव लड़ा है। क्यों उपराज्यपाल को जनता ने चुनकर भेजा है। ये सारी शक्तियां उपराज्यपाल को दे रहे हैं।”

बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी पर साधा निशाना

“बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए आप सांसद ने कहा, “मैं उड़ीसा और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टियों से कहना चाहूंगा कि आपकी कुछ तो मजबूरी होगी जो आप केंद्र सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं। एक शेर है कि कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता, लेकिन मैं आपको बता दूं कि अगर आग यहां लगेगी तो बहुत दूर तक जाएगी।”

राहत इंदौरी का शेर भी पढ़ा

“शायर राहत इंदौरी का एक शेर सुनाते हुए उन्होंने कहा, “अगर खिलाफ हैं होने दो जान थोड़ी है, ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है, लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।” उन्होंने जोर से कहा, “आज आप हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जब आपके घर में आग लगेगी तो हम आपके साथ खड़े रहेंगे।”

अमित शाह पर बोला हमला

अमित शाह पर कटाक्ष करते हुए आप सांसद ने कहा, “गृह मंत्री ने कहा था कि आम आदमी पार्टी एक सुपारी जितनी छोटी पार्टी है। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि ये वो सुपारी जितनी पार्टी है जो देश की सबसे बड़ी पॉलिटिकल स्टार्ट अप है, इस पार्टी ने दिल्ली में बीजेपी को तीन बार चुनाव हराया है और पंजाब में बीजेपी को लगभग शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस पार्टी के 161 विधायक और 11 सांसद हैं। 10 साल में राष्ट्रीय पार्टी बन गई है। इस पार्टी का काम देखने लिए दूसरे देशों से लोग आते हैं।”

उन्होंने जारी रखा, “इस पार्टी ने किसानों, मजदूरों, छात्रों, आजादी के लालों के लिए लड़ाई दी है। ये पार्टी एक विचारधारा के तहत चलती है, जिसमें भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ने का संकल्प है। हमारे नेताओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए संघर्ष किया है। हम आम जनता के साथी हैं और उनके समर्थक हैं। इसलिए अमित शाह जी को कहना चाहूंगा कि हम यहां सिर्फ आपसे सवाल करने नहीं आए हैं, बल्कि आपके खिलाफ सच्चाई बताने आए हैं।”

युधिष्ठिर की बात के साथ खत्म की स्पीच

“राघव चड्ढा ने महाभारत के एक अंश से अपनी स्पीच खत्म करते हुए कहा, “जब कुरुक्षेत्र में युद्ध शुरू होने वाला था तो युधिष्ठिर ने घोषणा करते हुए कहा था कि ये धर्म-अधर्म की लड़ाई है। मेरे साथ जो योद्धा हैं अगर उन्हें लगता है कि मैं धर्म के पक्ष में नहीं हूं कौरव हैं, तो वे कौरवों के पक्ष से युद्ध करने के लिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा था कि अगर कौरवों में से किसी को लगता है कि मैं धर्म के पक्ष में हूं तो आप मेरी तरफ से युद्ध लड़ सकते हैं।”

आप सांसद ने कहा, “युधिष्ठिर के ऐसा कहने पर कौरवों की तरफ से एक योद्धा जो कौरवों का भाई था जिसका नाम युयुत्सु था वो पाड़वों की तरफ आ गया था और उसने पांड़वों की ओर से युद्ध लड़ा था। इस बात को लेकर मैं यहां मौजूद सभी सांसदों से कहूंगा कि राज्यसभा लोकतंत्र का मंदिर है, आज आप सब मिलकर इस बिल को हरा दीजिए। क्योंकि अगर ये बिल आज पास हुआ तो ऐसा भी हो सकता है कि ये आने वाले समय में चुनाव ही न कराएं।”

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