टमाटर की महंगाई ने बढ़ाया बजट पर दबाव: RBI गवर्नर की भविष्यवाणी का सचाई में प्रमाण
“खाद्य पदार्थों के महंगाई के बढ़ने से रिटेल महंगाई ने जुलाई महीने में उच्च स्तर पर छलांग ली है, जो लगभग 15 महीनों के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह वृद्धि वित्त वर्ष 2023-2024 में हो रही है और यह पहली बार है। कि खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के निर्धारित सीमा से ऊपर बढ़ी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अब महंगाई को 2 से 6 प्रतिशत तक की सीमा में रखने की जिम्मेदारी मिली है। पिछले वित्त वर्ष में, खुदरा महंगाई आमतौर पर 6 प्रतिशत के उपर रहती थी, लेकिन इस वर्ष मार्च से जून तक यह आरबीआई के निर्धारित सीमा में रही थी।”
“आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई जुलाई में 7.44 प्रतिशत पर बढ़कर आई है, जबकि पिछले महीने जून में यह 4.87 प्रतिशत पर था। पिछले वर्ष जुलाई में यह 6.71 प्रतिशत था। इससे पहले, अप्रैल 2022 में महंगाई 7.79 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर थी। यह वृद्धि स्वतंत्र वित्त वर्ष की शुरुआत में हुई थी और अब यह एक चुनौतीपूर्ण प्रस्थिति बन गई है।”
“खाद्य पदार्थों के महंगाई के बढ़ने का मुख्य कारण टमाटर और अन्य सब्जियों की महंगाई है, जिनमें वृद्धि हुई है। खुदरा महंगाई की बढ़त का यह प्रभाव आम आदम की पॉकेट पर भारी पड़ रहा है और वित्तीय चिंताएँ बढ़ रही हैं। इसका असर सामाजिक और आर्थिक स्तर पर दिखाई दे रहा है, जिससे आर्थिक संतुलन पर बुरा असर पड़ सकता है।”
“आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में कमी है, जो बाजार में विक्रेताओं की स्थिति को प्रभावित कर रही है। टमाटर जैसे महत्वपूर्ण सब्जियों की महंगाई के बढ़ने से खुदरा महंगाई ने लोगों की रोज़गारी, खर्च पर वार पड़ा है और यह आर्थिक संबंधों में संकट का साधन बन गया है।”
“राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई ने जुलाई महीने में एक बड़ी बढ़ोतरी दिखाई है, जो जून महीने की 4.55 प्रतिशत से लेकर पिछले साल जुलाई की 6.69 प्रतिशत महंगाई दर तक पहुंच गई है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं में वृद्धि है, जिनमें विशेष रूप से सब्जियों की महंगाई ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है। इसके अलावा, मसालों में महंगाई 21.63 प्रतिशत, दाल में 13.27 प्रतिशत और अनाज और उसके उत्पादों की महंगाई भी बढ़ रही है।”
“खाद्य और पेय पदार्थ खंड में महंगाई की हिस्सेदारी लगभग 54 प्रतिशत है, जो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर प्रमुख घटक है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले सप्ताह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा महंगाई में निकट भविष्य में उल्लेखनीय वृद्धि को लेकर आगाह किया था। उन्होंने इस वर्ष के दूसरे तिमाही में महंगाई दर की 6.2 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान जताया था और पूरे वित्त वर्ष के लिए भी महंगाई का अनुमान बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया था। यह महंगाई में वृद्धि के संभावित प्रतिसाद और आर्थिक परिस्थितियों के संकेत के रूप में महत्वपूर्ण है।”
“रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने जुलाई महीने के आंकड़ों के साथ बताया कि सीपीआई महंगाई में वृद्धि का आंकड़ा देखकर ऐसा लगता है कि चालू वित्त वर्ष में दूसरी तिमाही के लिए आरबीआई के संशोधित अनुमान 6.2 प्रतिशत को पार कर जा सकता है। इसमें खाद्य वस्तुओं की महंगाई में उच्चारित बढ़ोतरी का महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि अगली फसल से पहले सब्जियों की कीमतों में कमी की उम्मीद नहीं है। इसके साथ ही, बरसात के वितरण में भी आइडल नहीं हो रहा है, जिससे खाद्य पदार्थों के दामों पर असर पड़ सकता है। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में खुदरा महंगाई दर 7.63 प्रतिशत थी, जबकि शहरी क्षेत्र में 7.2 प्रतिशत रही। यह मिलाकर कुल मिलाकर खुदरा महंगाई दर को 7.44 प्रतिशत तक पहुंचाता है। इसका मतलब है कि आम जनता को खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ निपटने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।”
“खाद्य पदार्थों की महंगाई में बढ़ोतरी का मुख्य कारण टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि है। खुदरा महंगाई की यह बढ़त आम जनता की जेब पर भारी पड़ रही है और आर्थिक संकट को बढ़ावा दे रही है। इससे व्यक्तिगत और सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों में परिवर्तन आ स
कता है, जिससे समाज में आर्थिक असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में कमी भी महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण है, जिससे बाजार में विक्रेताओं की स्थिति प्रभावित हो रही है।”
“गवर्नर द्वारा जारी आगाही के बावजूद, खुदरा महंगाई की वृद्धि का असर संभावित रूप से वित्तीय संसाधनों और व्यक्तिगत बजट पर हो सकता है। खासकर, वेतन वृद्धि, सामाजिक कार्यक्रमों में कटौती और आर्थिक चुनौतियों में बढ़ोतरी के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।”
“इस समय, खाद्य पदार्थों की महंगाई बढ़ने के कारण व्यक्तिगत बजट और आर्थिक योजनाओं में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि लोग आने वाले समय में आर्थिक संकटों के सामना कर सकें।”