तेल कंपनियों के खिलाफ सरकार का कदम: पेट्रोल-डीजल पर नए टैक्स के क्या हो सकते हैं परिणाम?
विंडफॉल टैक्स में बढ़ोतरी: पेट्रोल और डीजल की महंगाई में लगातार बदलते माहौल के बीच, एक अद्वितीय चुनौती का सामना कर रहा है देश। दरअसल, बढ़ती कदरों के बावजूद भी, मेट्रो शहरों में पेट्रोल और डीजल की दामों में स्थिरता की कमी का असर हो रहा है। ऐसे में, केंद्र सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों को नए संघटन में डाल दिया है। इस बार विंडफॉल टैक्स में वृद्धि का निर्णय लिया गया है, जिसने बाजार के नियमों में हलचल मचा दी है। इस नोटिफिकेशन के माध्यम से सरकार ने आम जनता को इस नई कार्रवाई की जानकारी दी है।
बढ़ाया गया टैक्स:
“सरकार ने इस दिशा में नियमों में परिवर्तन करते हुए घोषणा की है कि विंडफॉल टैक्स को और भी बढ़ाया जाएगा, जिससे क्रूड ऑयल और डीजल के निर्यात पर यह लागू होगा। साथ ही, विमान ईंधन के निर्यात पर लगाए गए सेस को वापस लेने का फैसला भी सरकार द्वारा लिया गया है।”
“इसके साथ ही, देश में उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) में भी बड़ी संशोधन किया गया है। इस संशोधित नीति के तहत, पहले 4,250 रुपये प्रति टन के आकर्षकरता उत्पाद शुल्क को 7,100 रुपये प्रति टन तक बढ़ा दिया गया है, जो कच्चे तेल के निर्यात पर लागू होगा।”
“इस सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, डीजल के निर्यात को भी प्रभावित करेगा, क्योंकि इसके साथ ही एसएईडी की दरों में वृद्धि की गई है। पहले रुपये प्रति लीटर लगाए गए एसएईडी को 5.50 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया गया है, जिससे उसका प्रभावी दर भी बढ़ जाएगा।”
“यह नई दरें आज से लागू हो गई हैं, जिससे विमान ईंधन के निर्यात पर लगे शुल्क का प्रभाव दिखने लगेगा। इसके साथ ही, पेट्रोल पर लगाए गए एसएईडी शुल्क को शून्य रखा गया है, जो आम जनता के लिए एक राहत की बात है।”
“नए कर दरों का प्रारंभ होने से 15 अगस्त से विमान ईंधन और एटीएफ के निर्यात पर एक नया शुल्क लागू हो रहा है, जिसके अनुसार प्रति लीटर दो रुपये का कर लेना शुरू होगा। यह पहली बार है कि विमान ईंधन पर एसएईडी का शुल्क लगाया जा रहा है, जो पहले नहीं था। इसके साथ ही, पेट्रोल पर एसएईडी का शुल्क शून्य रहेगा, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी। नई कर दरें मंगलवार से लागू हो चुकी हैं।”
“इससे पहले भारत ने पिछले साल 1 जुलाई 2022 को अप्रत्याशित नए कर दरों को लागू किया था। यह नया कदम उन देशों के संख्या में शामिल हुआ, जो ऊर्जा कंपनियों के असाधारण मुनाफे पर कर लगाते हैं। इस नए कर ने ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने की दिशा में सरकार के प्रयासों को प्रोत्साहित किया है।”
“यह कदम बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सरकारी आय को बढ़ावा देने के साथ ही विभिन्न योजनाओं की भी वित्तपूर्ण समर्थन प्रदान करेगा। यह भारत की आर्थिक मजबूती में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।”
“विमान ईंधन के नए शुल्क का प्रारंभ होना, जिसमें एसएईडी के नियमन के साथ ही पेट्रोल पर शुन्य एसएईडी शुल्क का फैसला, आम जनता के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से थोड़ी राहत मिल सकती है।”
विश्वभर में कच्चे तेल की व्यापक दुनियाँ भर में बिक्री कीमतों का निरूपण करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों की स्थिति का महत्वपूर्ण रूप होता है। हर हफ्ते के पूरे माध्यम से तेल की औसत कीमतों का अध्ययन किया जाता है, और यही कीमतें आधारित करके स्थानीय करों की समीक्षा की जाती है। यदि आंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की मूल कीमत 75 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक होती है, तो यह असामान्य परिस्थितियों का संकेत माना जाता है, और इसका परिणामस्वरूप घरेलू कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर लगाया जाता है।
अगस्त के महीने में, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की माध्यिक कीमत औसतन 86.8 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रही। यह उच्च स्तर की कीमतें स्वतंत्र बाजार की व्यापकता के संकेत के रूप में मानी जा सकती है। वैश्विक तेल बाजार की दुनियाँ भर में आर्थिक गतिविधियों, तात्कालिक घटनाओं, राजनीतिक उतार-चढ़ावों, और ऊर्जा मांग आदि के प्रभाव के अनुसार परिवर्तन करती है। ऐसे परिवर्तन न केवल देशों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालते हैं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की दिशा में असर डालते हैं।
इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार के परिपर्ण निर्णय और आर्थिक रूपरेखा पर प्रभाव डालने वाले कई कारक होते हैं, जैसे कि ऊर्जा उत्पादकों की प्रॉडक्शन क्षमता, आपूर्ति श्रृंखला, तात्कालिक तथा लंबित समय के परिपर्ण घटनाओं का प्रभाव, और भविष्य की मांग की आंकड़ा। इन सभी अंशों के संयोजन से तेल की वैश्विक कीमतें आवश्यकताओं और प्रसारण की दिशा में बदल सकती हैं, जिससे आर्थिक प्रणाली में बदलाव आ सकता है।
यदि हम इस समय की बाजार स्थिति का मुलायम निरीक्षण करें, तो प्रायः 87 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल की कच्चे तेल की मूल कीमत दर्ज की गई है, जो वर्तमान मार्केट में उपलब्ध कच्चे तेल की कीमतों के पास है। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में हो रहे उच्च स्तर के उतार-चढ़ावों की प्रतिक्रिया हो सकती है और विभिन्न कारणों से इसके परिणामस्वरूप घरेलू कच्चे तेल पर करों के लागू होने की संभावना बढ़ सकती है।