बॉलीवुड पर लगाया गया था 20 साल का बैन: मणिपुर में वापसी की ख़ुशख़बरी
पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से ज्ञात है कि मणिपुर में हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ की जनता को बॉलीवुड की स्मृतियों से वंचित रहना पड़ा है। इस संदर्भ में आखिरी बार एक हिंदी फिल्म को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था, वह 1998 में रिलीज हुई ‘कुछ कुछ होता है’ फिल्म थी। यह प्रतिबंध न केवल मणिपुर की सांस्कृतिक दुनिया को विकसित बनाने में रुकावट पैदा करता है, बल्कि यहाँ के फिल्म प्रेमियों को भी उनके पसंदीदा बॉलीवुड सिनेमाओं से दूर रहने के लिए मजबूर कर देता है। इस दौरान, सामाजिक, सांस्कृतिक, और मनोरंजन से जुड़े कई तालाबंदी नियमों और विधियों के अंतर्गत मणिपुर में हिंदी सिनेमा के प्रदर्शन की स्थिति चर्चित रही है। जैसा कि प्रमुख फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ के उदाहरण से स्पष्ट होता है, मणिपुर में बॉलीवुड फिल्मों का प्रतिबंध सिनेमा प्रेमियों की सांस्कृतिक अनुभवना को प्रभावित करता है, जिससे वे नए और विशिष्ट साहित्य, कला और सिनेमा की ओर नियुक्त हो सकते हैं।
मणिपुर में 20 से अधिक वर्षों के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हिंदी फिल्मों का प्रदर्शन हो रहा है। इस महत्वपूर्ण मौके पर, आदिवासी संगठन “हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन” (एचएसए) ने मंगलवार को चुराचांदपुर जिले के रेंगकाई (लमका) में ‘उरी’ और ‘कुछ कुछ होता है’ फिल्मों की स्क्रीनिंग की। एचएसए के अनुसार, आतंकवादी संगठनों ने राज्य में हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है, और वे अब उनकी बातों को खारिज करते हुए इन फिल्मों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं।
मणिपुर की सांस्कृतिक और मनोरंजन दुनिया को पिछले दशकों से हिंदी फिल्मों से महरूम रहना पड़ा है। यहाँ की जनता ने बॉलीवुड के आकर्षणों का आनंद नहीं उठा सकी, जिससे उनकी मनोरंजन और सांस्कृतिक जीवनशैली का एक अहम हिस्सा छूने से रह गया। 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ फिल्म की अंतिम प्रदर्शनी के बाद, मणिपुर में बॉलीवुड की फिल्मों पर प्रतिबंध लग गया था, जिससे यहाँ के फिल्म प्रेमियों को उनके पसंदीदा सिनेमाओं से दूर रहना पड़ा। इस अद्भुत मौके पर हिंदी सिनेमा की वापसी ने मणिपुरी लोगों के मनोबल को बढ़ावा दिया है, जिससे उन्हें फिर से उनके पसंदीदा फिल्मों का आनंद लेने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
लालसेमरंग ने मनीषा कि भारतीय होने की भावना के साथ, हमें सार्वजनिक सिनेमाघरों में उन सभी कलाओं और फिल्मों का आनंद लेने का अधिकार होना चाहिए जो भारतीय सिनेमा ने उत्पन्न किए है। उन्होंने बताया कि मैतेई आतंकवादियों द्वारा हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की मुख्य वजह यह थी कि उन्होंने यह माना कि ये फिल्में विदेशी फिल्मों को मानती हैं और इनका मणिपुरी संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वे आवश्यकता से ज्यादा यह बताते हैं कि राज्य सरकार ने आज तक इस प्रतिबंध का समर्थन किया है, यानी हिंदी फिल्मों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पहले, लाम्का/तुइथराफाई में कुछ सिनेमा हॉल थे, लेकिन हिंदी फिल्म स्क्रीनिंग के बाद 1990 के दशक के अंत में प्रतिबंध लगने के बाद, वे सभी बंद कर दिए गए हैं।
वर्तमान में, मणिपुर में ‘उरी’, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी महत्वपूर्ण हिंदी फिल्में दिखाई जा रही हैं। छात्र संगठन के अनुसार, वे आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर खुलकर यह संकेत करेंगे कि वे अपनी स्वतंत्रता के हक में खड़े हैं, जोने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हिंदी फिल्मों के प्रदर्शन की घोषणा की है।