(भारत ने लगायी है बड़ी छलांग) भारत को अगर विकास की गति बनाए रखनी है, तो प्रति व्यक्ति आय (पर कैपिटा इनकम) बढ़ाने पर ध्यान देना होगा. लोगों को उच्च उत्पादकता के क्षेत्र में लाना होगा, भारत की 45 फीसदी जनता खेती पर निर्भर है।
भारत ने लगायी है बड़ी छलांग
“भारत को बढ़ानी होगी प्रति व्यक्ति आय, कसनी होगी रेवड़ी-कल्चर पर लगाम”
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपने विकास के मामले मे नहीं बल्कि शानदार गति से आगे बढ़ी है। दिल्ली के आइटीपीओ में बने भारत मंडप के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने भारत के विकास की गाथा सुनाई और उन्होंने भी यह घोषणा की कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। इससे पता चलता है कि भारत विश्वभर में उच्च स्तरीय विकास और प्रगति की ओर अग्रसर है। आइटीपीओ के नवीनीकरण से भारत वैश्विक मंच पर अपनी अधिकतम प्रतिस्पर्धी गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है, जिससे उसे समृद्धि और सम्मान की नई उचाईयों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके लिए उसने चीन को छोड़कर अभी से दुनिया में सबसे तेज गति से विकास की दौड़ में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। इस उन्नति की ख़बर चीन के लिए चिंता का कारण बनी है और भारत के लिए गर्व की बात है। कोरोना महामारी और वैश्विक मंदी के बीच भारत का अर्थव्यवस्था का इतना बड़ा स्कोर करना, उसके संघर्ष और साहस की अच्छी मिसाल देता है। आने वाले समय में भारत के लिए और भी चुनौतियां और लक्ष्य होंगे, लेकिन आईएमएफ के मुताबिक उसकी अर्थव्यवस्था को और भी उच्च स्तर पर ले जाने में वह सफल हो सकता है।
भारत ने लगायी है बड़ी छलांग
भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की विकास की गाथा व्यक्तिगत संघर्ष, अर्थनीतिकी में सुधार और सरकार के उद्दीपन से भरी है। 1947 से लेकर 2007 तक यह लगभग 60 सालों की मेहनत में भारत ने 1 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी का लक्ष्य प्राप्त किया था। सरकार ने इस उपलब्धि के बाद अर्थनीतिकी में सुधार किया और 2014 तक भारत की इकोनॉमी 2 ट्रिलियन डॉलर की हो गई। भविष्य में भी भारत की अर्थव्यवस्था वृद्धि के रास्ते पर अग्रसर होने के आसार हैं और आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5.2 ट्रिलियन डॉलर की होगी। इससे भारत विश्वभर में अपनी अधिकतम प्रतिस्पर्धी गुणवत्ता को प्रदर्शित करेगा और उसे वैश्विक मंच पर मजबूत स्थान हासिल होगा।
अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ-साथ वास्तविक परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) को भी देखना महत्वपूर्ण है। इससे भारत की क्रियाशीलता और अर्थनीतिकी की सबलता का पता चलता है। भारत की अर्थव्यवस्था को पीपीपी के आधार पर आंकने पर यह पता चलता है कि भारत कितनी अर्थव्यवस्था में जुटा है किसी और देश के मुकाबले। यह साबित करता है कि भारत की आर्थिक शक्ति तेजी से बढ़ती जा रही है और अनुमान है कि आने वाले सात वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में और भी वृद्धि होगी। इस तरह भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में और भी मजबूती के साथ सामंजस्य स्थान हासिल कर सकता है।
इसी संदर्भ में वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन के साथ तुलना में भारत की वृद्धि भी अत्यधिक प्रशंसनीय है। चीन के अपेक्षा भारत ने आधुनिक समय में अधिक गति से विकास की दौड़ शुरू की है, जो वास्तविक चुनौती है। इसे लेकर भारत के प्रतियोगिता भरे भविष्य की ख़ुशियों का संकेत है और इस उपलब्धि का गर्व हर भारतीय को महसूस होता है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र को वैश्विक अर्थनीति में और ज़ोर देने के लिए और भी संघर्ष और कठिनाईयों का सामना करना होगा, लेकिन सफलता के लिए संकल्प से भरा एक नया अध्याय शुरू हो गया है।
भारत की चुनौतियां भी बहुतेरी
भारत की अर्थव्यवस्था के 1 ट्रिलियन डॉलर की विकास की गाथा व्यक्तिगत संघर्ष, अर्थनीतिकी में सुधार, और सरकार के उद्दीपन से भरी है। भारत ने लगभग 60 सालों की मेहनत में इस लक्ष्य को प्राप्त किया और भविष्य में भी वृद्धि के रास्ते पर अग्रसर है। पीपीपी के आधार पर भारत की आर्थिक शक्ति तेजी से बढ़ रही है और यह भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत स्थान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। चीन के साथ तुलना में भी भारत की वृद्धि अत्यधिक प्रशंसनीय है और यह विकासशील राष्ट्र के रूप में वैश्विक अर्थनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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