मणिपुर मे आवाज़ उठाने की आवश्यकता: मणिपुर में महिलाओं के सुरक्षा का संघर्ष
मणिपुर मे आवाज़ उठाने की आवश्यकता ‘मणिपुर के ताज़ा ख़बरों में एक नया और भयानक मामला सामने आया है, जिसमें मई के पहले हफ्ते में जातिगत झड़पों के दौरान हुए यौन उत्पीड़न की घटना का सच्चाईवाद उजागर हो रहा है। इस घटना का संकेत उस राहत शिविर से आया है जहां पीड़िता रह रही थी, और उन्होंने पुलिस के पास मामला दर्ज कराया है।
महिलाओं ने मानवाधिकारों के प्रति अपनी संकल्पितता और साहस का प्रदर्शन किया है जिससे वे पुलिस के सामने उनके साथ हुए दुखद कठिनाइयों और उत्पीड़न के अनुभवों को उजागर कर सकें। इस पर अधिकारी भी सकारात्मक रूप से प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं, उनको बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उनकी सुरक्षा की पूरी तरह से निगरानी कर रहे हैं।
इस घटना का सामाजिक चर्चा में आना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना ही नहीं है, बल्कि यह समाज में यौन उत्पीड़न और निर्वस्त्रीकरण के खिलाफ एक विशाल आंदोलन का हिस्सा भी है। इसके साथ ही, महिलाओं का यह साहस और निर्भीक उद्धारण भारतीय समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति समग्र जागरूकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
नवीनतम मामले में, मणिपुर के चुराचांदपुर जिले की एक 37 वर्षीय विवाहित महिला ने एक गंभीर आरोप उठाया है कि उसे पुरुषों के एक समूह ने पकड़ लिया। उसकी दुखद कहानी में, वह अपने दो बेटों, भतीजी और भाभी के साथ अपने जलते हुए घर से भाग रही थी, और इसी कारण 3 मई को एक समूह ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। यह घटना उस समय हुई थी, जब जिले में घाटी में बहुसंख्यक मैतेई लोगों की अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग के मुद्दे पर पहाड़ी-बहुल कुकियों की रैली हुई थी। इसके परिणामस्वरूप, जिले में उस समय हिंसा की भड़क उठी थी और विभागीय विवाद उत्पन्न हुआ था।
महिला ने बताया कि उन्होंने घटना का खुलासा नहीं किया ताकि वह अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचा सकें और सामाजिक बहिष्कार से बच सकें। उन्होंने इस समस्या की शिकायत करने में देरी होने का कारण सामाजिक कलंक और दबाव था। उनका बयान बुधवार को बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन में ‘जीरो एफआईआर’ के साथ दर्ज किया गया है। वे अब उन लोगों के लिए एक राहत शिविर में रह रही हैं, जिन्होंने इस घटना के प्रति उनका साथ दिया है। इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी, 354, 120बी और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिससे इस घटना के दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकेगी।
प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के अनुसार, 3 मई को शाम 6.30 बजे, बदमाशों ने एक महिला के और उसके पड़ोसियों के घरों को जलाने का आक्रमण किया। इस भयानक घटना में, महिला ने अपने दो बेटों, भतीजी और भाभी के साथ घर से भागने की कोशिश की। उन्होंने बताया, “मैंने अपनी भतीजी को अपनी पीठ पर बिठाया और अपने दोनों बेटों को भी पकड़ लिया, फिर मैंने अपनी भाभी को भागने की कोशिश करते समय माध्यम से उठाया। मेरी भाभी मेरी ओर दौड़ती हुई आई और मेरी पीठ से मेरी भतीजी को उठाया, और तब मैं गिर गई।” यह घटना व्यक्ति के लिए बहुत ही डरावनी थी और उन्होंने ‘जीरो एफआईआर’ में इसकी शिकायत की, ताकि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके।
महिला ने एफआईआर में स्पष्टता से बताया, “आखिरकार जब मैं उठने में कामयाब हुई, तब पांच-छह बदमाशों ने मुझे पकड़ लिया। उन्होंने मेरे ऊपर गालियां देना और मारपीट करना शुरू कर दिया। मैंने प्रतिरोध किया, लेकिन उनकी ताक़त के सामने मैं निराश हो गई। उन्होंने मुझे जबरदस्ती नीचे गिराया और मेरे साथ यौन उत्पीड़न किया।”
इस भयानक घटना के परिणामस्वरूप विकल्प होने पर, ‘जीरो एफआईआर’ का उपयोग किया गया, जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि इसे उस पुलिस स्टेशन में भेजा जाता है जिसके अधिकार क्षेत्र में अपराध हुआ है, ताकि सही जांच की जा सके और दोषियों को सजा मिल सके। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि न्यायपालिका संविदानिक रूप से चल सके और पीड़िता को न्याय मिल सके।
महिला ने अपने विवादपूर्ण अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “मेरी तबियत पूरी तरह से खराब हो गई थी और मैंने खुद को आत्महत्या करने के बारे में सोचा था। मैंने राज्य की राजधानी इंफाल जाकर क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में दिखाने का निर्णय लिया, लेकिन मुझे उन डॉक्टरों के पास जाकर कोई बता नहीं पा रहा था।”
उसने आगे जाकर बताया कि जब स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ और बढ़ गई, तो उसने मंगलवार को इंफाल के जेएनआईएमएस अस्पताल में जाने का फैसला किया। वहां के डॉक्टरों ने उसका इलाज किया और उसे सही दिशा में मार्गदर्शन भी प्रदान किया, जिससे उसे मामले की रिपोर्ट करने की ताकत मिली।
महिला ने अपने दुखद अनुभवों को शब्दों में व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे उस आघात और पीड़ा का अच्छी तरह से अहसास हो रहा है, जिसके कारण मैंने बिना किसी गलती के उन घिनौने अपराधों का सामना किया है, जो मेरे साथ हुए हैं। मेरे साथ जो अत्याचार, यौन उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न करने वाले दोषियों का समूह है, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
पिछले महीने, मणिपुर में पुरुषों के एक समूह ने सड़क पर नग्न घूमकर दो महिलाओं के साथ निन्दनीय व्यवहार किया था, जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इस घटना के पश्चात्, लोगों ने इस क्रूरता की निंदा की और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। वीडियो में दिखे गए आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
मणिपुर पुलिस ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 3 मई से 30 जुलाई तक कुल 6,500 से अधिक पुलिस मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में से अधिकांश मामले “आगजनी, लूटपाट और घरेलू संपत्ति को नष्ट करना” श्रेणी के तहत आते हैं, जिसे एक एनडीटीवी की रिपोर्ट ने प्रकट किया है।
एक ही मामले में कई शून्य एफआईआर से बढ़कर, हजारों मामलों का सामग्री बन गया है। यह सामग्री गतिविधियों की तरह स्वतंत्रता के खिलाफ हो रहे अपराधों की तथ्यात्मक स्थिति को प्रकट कर रही है। इस घटनास्थल से जुड़े विविध अपराधों के लिए उपयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि समाज में सुरक्षा और न्याय की स्थापना हो सके।
इसके अलावा, यह डेटा बता रहा है कि संपत्ति के विनाश की स्थिति जिस दिशा में जा रही है, वह कितनी गंभीर है। इसका खुलासा करते समय, सुप्रीम कोर्ट के पास इसे सुनने वाले कड़ी जिम्मेदारी होती है कि वह आवश्यक कदम उठाए ताकि आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा हो और समाज में सुरक्षा की भावना मजबूत बने।