मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दी गई 10 महत्वपूर्ण घोषणाएं
स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह की यात्रा मंगलवार को ऐतिहासिक रिज मैदान शिमला में आयोजित की गई। इस विशेष मौके पर, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राष्ट्रीय ध्वज को फहराया, जिससे राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण भावना को प्रकट किया गया। मुख्यमंत्री ने समारोह में शामिल होने वाले सभी अधिकारियों को बधाई दी और उनके संघर्षों की मान्यता दी।
मुख्यमंत्री ने समारोह के दौरान परेड का निरीक्षण किया और मार्च पास्ट की सलामी ली, जिससे उनके सशक्त नेतृत्व और देशभक्ति का प्रतीक मिला। पुलिस, होमगार्ड, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट्स और गाइड्स की टुकड़ियों ने परेड में भाग लिया और इसे और भी श्रेष्ठ बनाया। पुलिस उप अधीक्षक प्रणव चौहान ने परेड की नेतृत्व की जिम्मेदारी निभाई, जो उनके प्रोफेशनलिज्म और संकर्षण की प्रशंसा के योग्य है।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण कई क्षेत्रों में आपदाएं हो रही हैं, लेकिन इस आपदा के बीच भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों को सादगी और सामूहिक दृष्टिकोण से आयोजित किया गया। यह उक्त कार्यक्रम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण दिन के महत्व को स्थायीत करने में सहायक साबित होते हैं।
यह स्वतंत्रता दिवस के आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आवश्यकता को महसूस कराता है कि वर्षावधि की इस बारिश के बावजूद भी लोग अपने देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति अपनी समर्पणा को प्रकट करने में रुकावट नहीं करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस की यह सालाना राज्य स्तरीय समारोह शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में मंगलवार को आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। उन्होंने आपदाएं का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश में हाल के दिनों में आयी अधिक बारिश के कारण कई स्थानों पर बड़े हादसे घटे हैं।
मुख्यमंत्री ने इस मुश्किल समय में प्रदेश के लोगों के साथ खड़ा होकर उनके सामर्थ्य और साहस की सराहना की और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आपदा प्रबंधन और सहायता के लिए सरकार के प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया, जिससे प्रदेश के लोगों को सुरक्षित और मजबूत बनाने की दिशा में काम हो रहा है।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आपदा प्रभावित परिवारों के लिए यह मुश्किल की घड़ी हो सकती है, लेकिन उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता की बताया और बताया कि सरकार उनके साथ है, और सभी उनके सहयोगी हैं। वे यह भी मानते हैं कि आपदा समय में लोगों के सामर्थ्य को परिक्षण करती है और उनकी एकता और साहस को प्रकट करती है।
हिमाचल प्रदेश में यह समय आया है जब आपदाएं ने अपनी खरपतवार साबित की हैं और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस समय के माहौल में प्रदेश के लोगों के साथ संघर्ष करने की एक मजबूत राह का संकेत दिया है। वे इस मुश्किल समय में लोगों के सामर्थ्य और साहस को सराहते हुए उन्हें प्रेरित करते हैं। आपदा प्रबंधन और सहायता के क्षेत्र में सरकार के प्रतिबद्धता की बड़ी मात्रा के साथ, प्रदेश के लोगों को सुरक्षित और मजबूत बनाने के काम का परिचय दिया गया है।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आपदा प्रभावित परिवारों के लिए यह मुश्किल की घड़ी हो सकती है, लेकिन उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता की बताया और बताया कि सरकार उनके साथ है, और सभी उनके सहयोगी हैं। इस आपदा के समय में लोगों के सामर्थ्य को परीक्षण करने और उनकी एकता और साहस को प्रकट करने का मौका मिलता है।
हिमाचल प्रदेश में घटित अच्छंबे के बाद, आयी अधिकतर बारिश और जलवायु आपदा के परिणामस्वरूप प्रदेश में भारी तबाही का सामना हो रहा है। इस आपदा की दलील बखूबी घरों के और सड़कों के तोड़े गए हिस्सों में दिख रही है। किसानों के खेत और फसलों के नुकसान की तस्वीर सामान्य होते जा रहे हैं, और इसका प्रभाव पूरे हिमाचल प्रदेश में महसूस हो रहा है। यह अस्थायी परिस्थितियों के कारण है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के लोग इस मुश्किलाई समय में आपसी सहयोग और साहस से मुकाबला कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह साझा किया कि आपदा से भरी मुश्किलाओं के बावजूद, हिमाचल प्रदेश सरकार ने जिला लाहौल-स्पिति के चंद्रताल में फंसे 303 पर्यटकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने बिना अपनी जान की परवाह किए, पर्यटकों की सुरक्षा के लिए संकल्पित काम किया। विश्व बैंक ने भी प्रदेश सरकार की सराहना की है, क्योंकि वे आपदा प्रबंधन के कामों को सुचारू रूप से संचालित करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने उपरोक्त विचारों के साथ यह भी जताया कि आपदा समय में लोगों की सामर्थ्य और एकता को प्रमोट करने का अवसर प्रदान करती है, जो उनकी मजबूती का सबूत होता है।
इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण घोषणाएं की, जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों को सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों की सम्मान राशि को प्रतिमाह 15,000 रुपये से 25,000 रुपये बढ़ाकर दी गई है। जिन सेनानियों की मृत्यु हो चुकी है, उनकी पत्नियों को भी सम्मान राशि को 15,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रतिमाह बढ़ा दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने शत्रु सेना के वीर सैनिकों के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिन्होंने युद्ध के मैदान में अपनी जान की परवाह किए। उन्होंने बताया कि युद्ध में शहीद होने वाले या घायल या गुम होने वाले सैनिकों के आश्रितों की अनुदान राशि में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यह अब शहीद सैनिक के आश्रितों को 30 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही, युद्ध या युद्ध-समकक्ष परिस्थितियों में शहीद सैनिक के आश्रितों को भी 20 लाख रुपये से बढ़कर 30 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी जताया कि सैन्य अभियान के दौरान अपंग सैनिकों के लिए भी आश्रितों की सम्मान राशि में बदलाव किया गया है। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक अपंगता वाले सैनिकों को 3.75 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे, जबकि 50 प्रतिशत से कम अपंगता वाले सैनिकों को 1.50 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। यह कदम उन सैनिकों के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए और देश की सेवा की।
“विधवा पुनर्विवाह योजना” के अधीन, मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण पहल की है जिससे विधवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे अपने जीवन को नये आरंभ से आसानी से शुरू कर सकें। उन्होंने विधवाओं की सहायता राशि को 65,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये की घोषणा भी की है।
विकास के माध्यम “मनरेगा” के तहत, मुख्यमंत्री ने मजदूरों की दिहाड़ी की मानदंडित राशि में वृद्धि की है। सामान्य क्षेत्र में 224 से 240 रुपये और जनजातीय क्षेत्र में 280 से 294 रुपये की घोषणा ने लाखों मजदूर परिवारों को आर्थिक रूप से सुखदायक बदलाव की सम्भावना दिलाई है।
सरकार ने गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, और कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की दिशा में भी सकारात्मक कदम उठाया है। पूरक पोषण के रूप में उन्होंने उन वर्गों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संकल्प जताया है, ताकि समाज के नायिकाओं को सही मायने में आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं प्राप्त हो सकें। यह सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है जो समृद्धि, स्वास्थ्य और गरीबों के विकास की दिशा में कार्य कर रही है।
“मातृ शिशु संकल्प योजना” की शुरुआत के साथ, मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण पहल की है जिससे मातृओं और शिशुओं के स्वास्थ्य की प्राथमिकता को महत्वपूर्ण बनाया जाएगा। इस योजना के लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि का आवंटन किया जाएगा, जिसके तहत शिशु और मातृकों की सेवाएं और स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। उन्होंने आपदा के कारण बागवानों को हुए नुकसान को स्वयं देखा है और उसके उपायों की ओर ध्यान दिया है। उन्होंने सेब, आम और लीची के फलों के लिए “मंडी मध्यस्थता योजना” के तहत वर्ष 2023 में वृद्धि की घोषणा की है, और इसके तहत सेब के समर्थन मूल्य में 1.5 रुपये की बढ़ोतरी करके उसे 10.50 रुपये से बढ़ाकर 12 रुपये किया गया है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दर्जनों बड़े परियोजनाओं की शुरुआत की है, जिनसे प्रदेश में विकास और सुविधाओं में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सरकार ने पंचायत स्तर तक सभी संपर्क मार्गों को खोलने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाए हैं और समयबद्ध रूप से सभी सड़कों को खोलने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने आर्थिक प्रतिकूलताओं के चलते हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की आवश्यकता की बात की है। उन्होंने बताया कि छोटे से राज्य के रूप में हिमाचल प्रदेश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है। इस संकटकाल में, आर्थिक बदहाली से जूझ रहे प्रदेश को केंद्र सरकार के सहायता और आर्थिक सहायता की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया कि उनकी आशा है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही प्रदेश को अंतरिम राहत की पहली किस्त प्रदान करेगी। यह कदम न सिर्फ हिमाचल के लिए बल्कि समृद्धि और विकास की दिशा में कदम उठाने वाली सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
आपदा के दौरान हुए गंभीर संकट की दृष्टि से मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज के अंतर्गत, जो वर्ष 2023 में जुलाई महीने में घोषित किया गया है, घर को आंशिक नुकसान होने पर पहले 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचाई जाती थी, लेकिन इस बार इस सहायता को दस गुना बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। व्यापारियों और दुकानदारों के नुकसान पर पहले 10,000 रुपये की सहायता पहुंचाई जाती थी, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। किरायेदारों के सामान के नुकसान पर पहले 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता पहुंचाई जाती थी, लेकिन इसे 50,000 रुपये कर दिया गया है।
कृषि और बागवानी योग्य भूमि में सिल्ट के आने पर पहले लगभग 1400 रुपये प्रति बीघा की मुआवजा दी जाती थी, लेकिन इसको 5,000 रुपये प्रति बीघा कर दिया गया है। उन्होंने कृषि और बागवानी योग्य भूमि के नुकसान पर पहले 3,600 रुपये प्रति बीघा की आर्थिक सहायता दी जाती थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे 10,000 रुपये प्रति बीघा कर दिया है। गाय-भैंस की मृत्यु पर मिलने वाले मुआवजे को भी 37,500 रुपये से बढ़ाकर 55,000 रुपये किया गया है। इसके साथ ही, भेड़ और बकरी की मौत पर मिलने वाली मदद को बढ़ाकर छह हजार रुपये कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार के मंत्री, विधायक और प्रशासन त्वरित राहत पहुंचाने के लिए सक्रिय हैं, और प्रदेश सरकार विशेष पैकेज के तहत प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
आपदा प्रबंधन की दिशा में राज्य सरकार ने एक दीर्घकालीन योजना की तैयारी की है, जिसके लिए लगभग 800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य भविष्य में आपदाओं के प्रति सजगता और प्रबंधन को बढ़ावा देना है। इसके तहत प्रत्येक जिले में भूस्खलन, हिमस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसे उच्च स्तरीय वैज्ञानिक डेटाबेस का विकास किया जाएगा, जो विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करेगा।
साथ ही, मुख्यमंत्री ने बताया कि विधवाओं के लिए एक विशेष आवास योजना भी शुरू की गई है। इस योजना के तहत इस वर्ष करीब 7,000 महिलाओं को प्रत्येक महिला के लिए डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
उपरोक्त कार्यक्रमों के साथ ही, मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर एक स्वतंत्रता पथ पर राजमार्ग से पैदल रिज तक की यात्रा की। इस यात्रा में उन्होंने लोगों का स्वागत किया और उन्हें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी। यात्रा के बाद वे अपने सरकारी आवास तक पैदल ही पहुंचे। उपस्थित थे ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, मुख्य सचिव मोहन लाल ब्राक्टा, विधायक हरीश जनारथा, विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों और अन्य प्रमुख व्यक्तियाँ।
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