यूक्रेन विवाद में भी आगे बढ़ता भारत-रूस संबंध: एस-400 की डिलिवरी समय पर
रूस भारत: रूस और भारत के बीच की दोस्ती एक विश्वस्त संबंध का प्रतीक है। दोनों देशों के बीच एक परंपरागत साझेदारी है, जिसका अर्थ उनके संबंधों की मजबूती में दिखता है। रूस ने अपने रक्षासौदों के तहत भारत को विभिन्न बड़े हथियार प्रदान किए हैं, जो भारतीय सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस बीच, रूस ने एस-400 वायुरक्षा प्रणाली की खेप भारत के साथ निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार देने का निर्णय लिया है। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो उसकी सुरक्षा में मदद करेगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन द्वारा आयोजित आर्मी-2023 अंतरराष्ट्रीय सैन्य-तकनीकी फोरम में रूसी संघीय के प्रमुख दिमित्री शुगाएव ने यह बताया कि एस-400 ट्रायम्फ एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का उत्पादन तय समय पर हो रहा है। वे यह भी जानकारी देने में सफल रहे कि एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम के लिए आवश्यक उपकरणों की डिलीवरी भी निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी। इससे स्पष्ट होता है कि रूस भारत के सुरक्षा के समर्पित है और उसकी सेना-तकनीकी में सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।
सैन्य विनाश की आशंका से दूर: रूसी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत को एंटी-एयक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम एस-400 की आपूर्ति में किसी भी तरह की देरी नहीं होने की पुष्टि की है। यह सूत्र बताते हैं कि रूसी रक्षा निर्यात से जुड़े एक अधिकारी ने खुलकर यह घोषणा की है कि 2018 में हुए 540 करोड़ डॉलर के सौदे के अनुसार तय समय सीमा के मुताबिक 2024 तक रूस भारत को दो एस-400 प्रणाली प्रदान कर देगा। यह सूचना उन सभी भारतीयों के लिए एक बड़ी राहत की बात है जो भारत की सुरक्षा के लिए इस प्रणाली की आवश्यकता को महत्वपूर्ण मानते हैं। रूस की इस प्रकार की सशक्त प्रतिबद्धता भारत के रक्षासौदों को आत्मविश्वास देने में सहायक सिद्ध हो सकती है, जबकि समाचार से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत और रूस के दोस्ताने संबंध युक्रेन विवाद की भारतीय सुरक्षा के प्रति निष्ठा में कोई कमी नहीं आने देंगे।
एस-400 मिसाइल प्रणाली के पांच प्रणालियों के साथ हुआ है समझौता
रूस की अधिकारियों की मानें तो, भारत ने एस-400 मिसाइल प्रणाली के पांच प्रणालियों के समझौते की घोषणा की है, जिनमें से तीन प्रणालियाँ पहले ही भारत को सौंप दी गई हैं, जबकि बाकी दो प्रणालियों का काम भी तेजी से पूरा हो जाएगा। रूसी अधिकारी बताते हैं कि यह समझौता 2024 के आखिर तक पूरा हो जाने की उम्मीद है और उन्हें खुशी है कि उनकी देश की सेना-तकनीकी ने भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रूस द्वारा निर्मित कंपनी मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के प्रमुख दिमित्री शुगाइव ने भी इस परिप्रेक्ष्य में यह कहा कि उन्होंने उन देशों के साथ भी हथियारों के सौदों किए हैं, जिन्हें वे तय समय में पूरा करने की प्रतिबद्धता दिखाते हैं। इस बीच, इसी वर्ष के मार्च महीने में, भारतीय वायुसेना ने एस-400 प्रणाली की डिलीवरी में देरी की आशंका जताई थी, जोकि अब रूसी अधिकारियों के द्वारा खंडन किया गया है।
यह तथ्य आत्मसमर्पण की ओर कदम बढ़ा रहा है कि भारत ने एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति को गति देने का निर्णय लिया है। इस समझौते के माध्यम से, भारत अपनी सुरक्षा में मजबूत होने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रहा है और यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि राष्ट्र के रक्षासौदों को उनकी समर्पितता को मान्यता दी जा रही है। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत कर रहा है, बल्कि भारत की रक्षा क्षमता को भी बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
यह सूचना भारत की गर्वनिष्ठ सेना और सामर्थ्य की कहानी है, जो अपनी सुरक्षा में स्थिरता और स्वायत्तता की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह भारत-रूस सामर्थ्य संबंध के उत्कृष्टता को प्रकट करता है जो दोनों देशों के बीच दृढ़ और गहरे बंधनों की ओर इशारा करता है। इस नई उपलब्धि के माध्यम से, भारत अपने सुरक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़कर खुद को मजबूत बना रहा है, और उसके सुरक्षा और मिलिटरी क्षमता को मजबूत बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रमोट करता है।
रूसी और भारतीय अधिकारियों के बीच यह समझौता एक नई उपयोगी दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिससे सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया पूर्वानुमान प्रकट हो रहा है। यह आशा है कि इस समझौते के परिणामस्वरूप, भारत की सुरक्षा और रक्षा क्षमता में वृद्धि होगी और उसकी संरक्षण क्षमता को मजबूती मिलेगी, जो दुनिया भर में उसके शांति और स्थिरता के संकेत के रूप में काम करेगी।