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हाइलाइट्स

फिलहाल सॉरोपॉड डायनासोर ही सबसे लंबी गर्दन वाले जानवर माने जाते हैं.
इसमें से ही मैमेनचिसॉरस साइनोकैनेडोरम परिवार के डायनासोर की गर्दन 15 मीटर थी.
इस डायनासोर का जीवाश्म 36 साल पहले चीन में खोजा गया था.

डायनासोर और उनमें भी सॉरोपॉड अपने लंबी गर्दन के लिए मशहूर जानवर हैं. इनके बारे में सबसे पहले 19वीं सदी में अमेरिका में पता चला था. लेकिन डायनासोर जीवाश्म के परिवार के इतिहास के विश्लेषण में पता चला है कि इस प्रजाति के डायनासोर ने लंबी गर्दन वाले जानवरों के अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. चीन में खोजा गया यह जीवाश्म मध्य ज्यूरासिक से शुरुआती क्रिटेशियस काल के बीच के युग में विचरण करनेवाले सॉरोपॉड डायनासोर की प्रजातियों में से एक प्रजाति का है. इस खोज से अब यह चर्चा चल निकली है कि आखिर डायनासोर की गर्दन कितनी लंबी हो सकती है जबकि यह जानना भी जरूरी हैं कि आखिर इतनी लंबी कैसे और क्यों विकसित हुई.

15 मीटर लंबी गर्दन
स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी के जीवाश्वविशेषज्ञ डॉ एड्रयू जे मूर और लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के शोधकर्ता प्रोफेसर पॉल बैरेट की अगुआई वाली टीम ने पता लगाया है कि मैमेनचिसॉरस साइनोकैनेडोरम नाम का सॉरोपॉड जो उत्तर ज्यूरासिकर काल में रहा करता था, की गर्दन 50 फुट यानि कि 15 मीटर की थी.

परिवार के इतिहास और विविधता का दस्तावेज
नए शोधपत्र के हिस्से में इसका खुलासा हुआ जिसमें लंबी गर्दन वाले सॉरोपॉड डायनासोर समूह के मैमेनचिसॉरिडे परिवार का उद्भाव इतिहास और विविधता का दस्तावेजीकरण किया गया था. इस परिवार के डायनासोर मध्य ज्यूरासिक से लेकर शुरुआती क्रिटेशयस यानि करीब 17.4 से 11.4 करोड़ साल पहले पूर्वी एशिया और दुनिया के दूसरे हिस्सों में घूमा करते थे.

कहां मिला डायनासोर की जीवाश्म
जिस मैमेनचिसॉरस साइनोकैनेडोरम के जीवाश्म की खोज हुई वह उत्तरपश्चिम चीन के जिनझियांग उइगर इलाके की 16.2 करोड़ साल पुरानी चट्टान में से 1987 में चाइना कैनेडा डायनासोर प्रोजेक्ट टीम को मिला था जिसे 1993 में नाम दिया गया था. 15 मीटर की गर्दन वाले डायनासोर की गर्दन जिराफ की गर्दन से छह गुना लंबी है जो इस समय दुनिया के सबसे लंबी गर्दन वाला जानवर है.

सॉरोपॉड डायनासोर के मैमेनचिसॉरस साइनोकैनेडोरम परिवार की इतिहास के अध्ययन के दौरान यह खुलासा हुआ. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

बड़े आकार में बड़ी गर्दन
यह अब तक के खोजे गए और पाए जाने वाले जानवरों में सबसे लंबी गर्दन वाला जानवर बन गया है. जहां सॉरोपॉड जैसे डायनासोर के विशाल आकार के शरीर में उनकी लंबी गर्दन का सबसे बड़ा योगदान है. इतने बड़े शरीर को ऊर्जा देने के लिए उन्हें पर्याप्त भोजन जुटाने की जरूरत होती थी जिसमें उनकी लंबी गर्दन बहुत ही उपयोगी होती थी.

अपने पंजों से कई तरह के काम लेते थे डायनासोर- शोध

क्या होते थे इसके फायदे
एक ही जगह पर खड़े होकर वे बड़ी जगह की घास पत्तियां खाकर अपनी ऊर्जा बचा पाते थे. इसके साथही लंबी गर्दन से उनके शरीर का सतह क्षेत्रफल भी बढ़ गया जिससे वे अपने शरीर की ज्यादा से ज्यादा गर्मी आसानी से बाहर निकाल पाते थे. आज हाथियों के कान भी उन्हें ऐसा ही लाभ देते है. वैज्ञानिकों को मानना है कि इस तरह की जीवनचर्चा सॉरोपॉड वंशावली के लिए बहुत ही सफल हुआ करती थी.

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सॉरोपोड डायनासोर की लंबी गर्दन कई सवालों को पैदा कर रही थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

आसान नहीं था फैसला
जीवाश्म के प्राकृतिक संरक्षण की समस्याएं यह तय करने में दिक्कतें पैदा करती हैं कि किस सॉरोपॉड की गर्दन सबसे लंबी हुआ करती थी. मैमेनचिसॉरस साइनोकैनेडोरम की जानकारी भी केवल कुछ ही हड्डियों के जरिए ही हासिल की जा सकी. विकासक्रम और अन्य डायनासोर से तुलनात्मक अध्ययन के जरिए शोधकर्ता उनकी गर्दन की लंबाई का पता लगा सके.

लंबी यात्रा के दौरान बीच रास्ते में क्यों रुकते हैं प्रवासी पक्षी?

सॉरोपॉड कैसे लंबी गर्दन का विकास कर पाए और उसके साथ शरीर का संतुलन भी बनने में सफल रहते थे यह शुरू से ही एक पहेली थी. मैमेनचिसॉरस का अध्ययन करने के दौरान वैज्ञानिकों ने सीटी स्कैन और अन्य विश्लेषण के जरिए पाया कि सॉरोपॉड का गर्दन का विकास वैसे ही हुआ जैसे पक्षियों के उड़ने की क्षमता के साथ उनके शरीर का विकास हुआ. वहीं गर्दन की हड्डी के आसपास की छोटी हड्डियां उसे सुरक्षा देने का काम करती थीं. लेकिन लंबी गर्दन होने के बाद भी यह सबसे विशालकाय डायनासोर नहीं थे.

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