10 बड़े हमले, 10 नेताओं की आवाज: क्या हैं सवाल जिनका चर्चा में इंतजार है?

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10 बड़े हमले, 10 नेताओं की आवाज: क्या हैं सवाल जिनका चर्चा में इंतजार है? KALTAK NEWS.COM


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संसद में मणिपुर को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देंगे

“मणिपुर समेत अन्य मुद्दों पर संसद में गरमागरमी है। विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) की मुद्रा देखकर दो दिनों तक की चर्चा की है, और अब बारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की है। प्रधानमंत्री मोदी की संभाषण की प्रतीक्षा राजनीतिक दलों और जनता के बीच बढ़ रही है। गुरुवार को प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद, आज पीएम मोदी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर अपने जवाब को प्रस्तुत करेंगे। इससे पूरे देश में महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं की दिशा निर्धारित होगी।”

“पीएम मोदी के संबोधन का बेसब्री से इंतजार हो रहा है क्योंकि उनकी इस संभाषण से विपक्षी नेताओं के आरोपों का जवाब देने की उम्मीद है। पीएम की पूर्व में भी संसद में विपक्ष के हमलों का मुंहतोड़ जवाब मिला है, और आज फिर वो यही कर सकते हैं। उनका भाषण राजनीतिक दलों के बीच नई चुनौतियों को उत्पन्न कर सकता है।”

“मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष ने पीएम के भाषण की मांग को लेकर सदन का बहिष्कार करता रहा है, जिससे चर्चा में और भी गरमागरमी आई है। इस तरीके से, विपक्ष ने न केवल अपने मुद्दे को आगे बढ़ाया है, बल्कि उन्होंने संसद में भी विपक्ष की भूमिका को मजबूत किया है। आज का दिन विपक्ष और सरकार के बीच महत्वपूर्ण मात्रा में आवश्यक हो सकता है।”

“कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है और विपक्ष की संख्या ताकि बहुमत सिद्ध कर सके, यह स्पष्ट है कि विपक्ष के पास कुछ कम संख्यक सदस्य हैं। इसका अर्थ यह है कि अविश्वास प्रस्ताव की उचितता की वास्तविकता दिखाई नहीं देती है, लेकिन इसके बावजूद विपक्ष अपने आप को सुनिश्चित करना चाहता है कि सरकार के प्रति उनका संकल्प दृढ़ है।”

यह विवरण दिखाता है कि संसद में व्यापक रूप से हो रही चर्चा के दौरान राजनीतिक स्थिति में कैसे बदलाव हो रहा है और कैसे विपक्ष और सरकार आपसी मुकाबले में जुटे हैं।

कांग्रेस और BRS लेकर आई अविश्वास प्रस्ताव

यह बताना महत्वपूर्ण है कि किसी भी समय, जब कोई लोकसभा सांसद के पास 50 सहायकों का समर्थन होता है, वह मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। DMK, TMC, NCP, JDU, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और वाम दलों ने इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है। इसके अलावा, भारत राष्ट्र समिति के सदस्य नामा नागेश्वर राव ने भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। 20 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा, जिसके दौरान राजनीतिक महत्वपूर्ण घटनाएँ समय-समय पर घटित होंगी।

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आज दोपहर 4 बजे पीएम देंगे अविश्वास प्रस्ताव का जवाब

10 अगस्त को दोपहर 12 बजे से सदन में फिर से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होगी। शाम 4 बजे पर पीएम नरेंद्र मोदी सदन में अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देंगे। उनके भाषण के पश्चात्, अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। मोदी सरकार के खिलाफ यह एक और अविश्वास प्रस्ताव है, जिससे राजनीतिक माहौल में नए दिशानिर्देश उत्पन्न हो सकते हैं। यह पहली बार नहीं है कि एक सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है; पहले भी 20 जुलाई 2018 को तेलुगू देशम पार्टी ने ऐसा किया था।

मणिपुर को लेकर क्या सवाल कर रहा विपक्ष?

–  विपक्ष द्वारा पूछे गए सवाल: क्या प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं गए?
– क्यों हुए 80 दिन, जब पीएम ने पहली बार मणिपुर पर बात की? सिर्फ 30 सेकेंड की बात ने न केवल हिंसा की आलोचना की, बल्कि वीडियों     में हैवानियत को भी दर्शाया। ना ही सहानुभूति दिखाई और ना ही मणिपुर की शांति की अपील की।
– क्यों नहीं हटाए गए मणिपुर के सीएम? मणिपुर के सीएम ने खुद आदर्शवादी रूप से स्वीकार किया है कि राज्य में बड़ी घटनाएं हुई हैं।

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विपक्ष के वो 10 बड़े नेता… जिन्होंने सरकार पर बोला हमला

1. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी: संसद के पद में प्रतिष्ठित होने के बाद, बुधवार को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पहली बार संसद में पहुँचे और मणिपुर के मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्ति व्यक्त की। राहुल ने यह कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री अबतक मणिपुर नहीं गए हैं। ऐसा लगता है कि उनके लिए मणिपुर केवल एक जगह ही है, हिन्दुस्तान नहीं। आप हिन्दुस्तान में मणिपुर का नाश करना चाहते हैं। आप भारत माता के खिलाफ हैं। आज की सच्चाई यह है कि मणिपुर अपने पूरे रूप में बच नहीं पाया है। आपने मणिपुर को दो टुकड़ों में बाँट दिया है और उसको तोड़ दिया है। मणिपुर में भारत की उम्मीदों की हत्या हुई है। आप मणिपुर के संरक्षक नहीं, विनाशकारी हैं। आपकी भारत प्रेम और देशभक्ति में संदेह है। आप देश के प्रति विश्वासघातक हैं।

2. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई: हम यहाँ मणिपुर की ओर से एक अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। हमारे देश के प्रमुख के रूप में, प्रधानमंत्री सदन में आएं। हमें आपकी राय सुननी है। हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं और सभी दलों से समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं, ताकि हम मणिपुर को यह संदेश मिले कि इस कठिन घड़ी में पूरा सदन उसके साथ है। हम मणिपुर में शांति की कामना करते हैं। प्रधानमंत्री महोदय ने एक आपातकालीन मौन व्रत अपनाया है, जिससे वे ना तो लोकसभा में कुछ कहते हैं और ना ही राज्यसभा में। इसलिए हम मणिपुर में हो रही घटनाओं के प्रति प्रधानमंत्री मोदी के मौन को तोड़ना चाहते हैं। हम जानना चाहते हैं कि उन्होंने मणिपुर में हो रही हिंसा पर अब तक क्यों कुछ नहीं कहा?

3. सपा सांसद डिंपल यादव:मणिपुर में हुई घटना एक अत्यंत संवेदनशील परिस्थिति है। इस घटना के संदर्भ में सरकार की अवगति और प्रतिक्रिया अत्यंत संवेदनाहीन है। यह पूरी तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन है। महिलाओं को हिंसा के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कि यह घटना और भी अधिक दुखद बन जाती है। इस घटना ने विश्वभर में आलोचना प्राप्त की है। ऐसा आकलन हुआ है कि भारतीय समाज का सिर शर्म से झुक गया है। हम सवाल करते हैं कि इसके जिम्मेदार कौन हैं। हम सरकार से जानना चाहते हैं कि कितने लोगों पर कार्रवाई की गई है, कितनी गिरफ्तारियाँ हुई हैं। इस घटना के परिणामस्वरूप करीब 60 हजार लोग विस्थापित हो गए हैं और 14 हजार बच्चे स्कूल नहीं जा सक रहे हैं। क्या यह भाजपा की राजनीतिक और नैतिक जिम्मेदारी नहीं है? क्या मणिपुर हमारे परिवार का हिस्सा नहीं है? क्या यह देश का अंग नहीं है, फिर इसके प्रति यह अलग दृष्टिकोण क्यों अपनाया जा रहा है? बीजेपी एक विभाजनकारी राजनीति अपनाती है और उसका पूरा दायित्व इसके लिए है।

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4. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले:मणिपुर में जो घटित हुआ, वह अत्यंत शर्मनाक है। मैं आग्रह करती हूं कि मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। क्या आप ऐसा करने के लिए समर्थ हो सकते हैं और इस देश की महिलाओं के प्रति आपकी संवेदना कैसे है? कृपया आप अपनी आंतरिक आत्मा से पूछें कि आप इस सरकार के साथ कैसे रह सकते हैं। क्या आप उनकी स्थिति को स्वीकार कर सकते हैं? क्या आप उन्हें उनके अधिकार में समर्थन दे सकते हैं? यह मुद्दा केवल उनके और हमारे बीच की बात नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की मानवाधिकार की बात है। वे हमारी बहनें हैं, बेटियां हैं, पत्नियां हैं। उनकी इज्जत का आपातकालीन उदाहरण नहीं देने का कृपण निष्ठा से आग्रह है, और सरकार की चुप्प मेरे मत के खिलाफ आवाज उठाने के रूप में है।

5. टीएमसी सांसद सौगत रॉय:मणिपुर में मई के बाद के घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में, वहाँ पर राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता हो सकती है। जब मणिपुर मुश्किल में था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा पर रहे हैं थे। मई से जुलाई के बीच, प्रधानमंत्री ने सात देशों का दौरा किया, लेकिन उनको मणिपुर जाने का समय नहीं मिला। इस सरकार को आपतकालिक सोच और संवेदनहीनता का आरोप लगा है। मणिपुर के लोगों की पीड़ा को सुनने की उनकी इच्छा नहीं है। मणिपुर में बहुत ही चिंताजनक स्थिति है। प्रधानमंत्री ने 80 दिनों के बाद तो अपना मुख खोला, लेकिन वो मणिपुर जाने के लिए नहीं गए। आजकल मणिपुर में जातियों के बीच विवाद हो रहे हैं और उनके बीच हमला भी हो रहा है। उन्होंने हथियारों का इस्तेमाल किया है और यह स्थिति गंभीर हो रही है। विदेशी हथियारों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे यह लगता है कि पैसे कमाने के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल हो रहा है।

6. डीएमके सांसद टीआर बालू: जनता ने उन्हें (प्रधानमंत्री मोदी) संसद में प्रतिनिधित्व के लिए चुना है, तो उन्हें कौन रोक रहा है? मणिपुर में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किया गया है, और उनके खिलाफ बेरहमी से क्रूरता दिखाई गई है। 143 लोगों की मौत हो गई है और 65,000 लोगों ने अपने राज्य छोड़कर जाने का फैसला किया है। मणिपुर की सड़कों पर दो महिलाओं के साथ अत्याचार किया गया है और उन्हें निर्वस्त्र करके घुमाया गया है। प्रधानमंत्री ना ही संसद में आए हैं और ना ही वह मणिपुर का दौरा किया है। वही ‘भारत’ के सदस्यों ने मणिपुर का दौरा किया और वहां की स्थिति को समझने का प्रयास किया है। विपक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।

7. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला:प्यार को प्रोत्साहित करें, नफ़रत को नहीं। हमसे नफ़रत न करें, हमारी बात को सुनें। कश्मीर में क्या विकास हो रहा है? मुद्दों का सामना करने के लिए सरकार की प्रणाली गलत है। यह लोगों की आपसी मोहब्बत है जो हमें एक साथ रखेंगे। आप कहते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद नहीं है, लेकिन पाकिस्तान की सक्रियता जारी है… प्यार ही आगे बढ़ने का एकमात्र मार्ग है। हमने कश्मीरी पंडितों को उनके घर लौटाने का प्रयास किया। जम्मू-कश्मीर भारत की एक हिस्सा है। हमें पाकिस्तानी ना कहें। क्या आप जानते हैं कि मेरे कितने मंत्री मारे गए थे ताकि हम भारत के एक हिस्से बन सकें? प्रधानमंत्री न केवल ‘एक व्यक्ति’ होते हैं, बल्कि उन्होंने पूरे देश का प्रतिनिधित्व किया है। पिछले 10 वर्षों में कितने कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी में वापस आए हैं? कोई भी नहीं आया। यह दावा करना गलत है कि केंद्र ने कश्मीरी पंडितों के प्रति कुछ नहीं किया।

”मेरी आँखों के सामने बेटे को मार डाला, रातभर उसके शव के साथ बिताई,’ राहुल गांधी ने सहमाति दिलाते हुए मणिपुर की महिला की दुखद कहानी साझा की।

8. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी:मणिपुर की सीमा म्यांमार से मिलती है। म्यांमार के संबंध चीन के साथ गहरे हैं। इसलिए, मणिपुर में होने वाली किसी भी अस्थिरता का असर सिर्फ भारत के भीतर ही नहीं बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है। इस संदर्भ में, मैं चीन का भी उल्लेख करना चाहता हूं। 2020 के अप्रैल में, हमारी सीमा के पार नियंत्रण रेखा में घुसपैठ हुई थी। यह घुसपैठ एक ही स्थान पर नहीं हुई, बल्कि 8 स्थानों पर हुई थी। मैं सरकार से यह पूछना चाहता हूं कि इसके 37 महीने बाद भी, क्या सरकार ने सुनिश्चित किया है कि इस घुसपैठ के पीछे चीन की राजनीतिक मनीफेस्ट क्या है? अब तक हमारे संसद में चीन पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। क्या ऐसी घुसपैठ हो सकती है और हमारी खुफिया संविदान को पता नहीं चले? चीन के साथ हुई 18 चरणों की बातचीत से क्या नतीजा निकला?

9. जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह:मणिपुर की अशांति नागालैंड और मिजोरम तक पहुँच सकती है और पूरे पूर्वोत्तर सीमा को प्रभावित कर सकती है। इसे आप हल्के में नहीं ले सकते। आज जिस घटना का सामना मणिपुर में हुआ, कल मिजोरम में हो सकता है, परसों नागालैंड में भी हो सकता है और इसका प्रभाव पूरी पूर्वोत्तर सीमा पर पड़ सकता है। आप मामले की गंभीरता को समझ नहीं रहे हैं। मणिपुर में ‘डबल इंजन सरकार’ होने के बावजूद, लोग सरकार पर विश्वास खो रहे हैं। दोनों समुदायों के बीच में बड़ी नफरत है। उन्होंने सरकार पर भरोसा खो दिया है। इस बदलते संदर्भ में, मणिपुर की स्थिति के लिए दोनों सरकारों (केंद्र और राज्य) को दोषी ठहराया जा रहा है। मणिपुर आगे बढ़ रहा है और इस समय भी एक शब्द भी नहीं बोला गया है। इस घटना के बारे में बड़ी चर्चा नहीं हो रही है। क्या यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नहीं है कि वह इस मामले पर कुछ कहें?

10. शिवसेना (उद्धव गटे) के सांसद अरविंद सावंत: मणिपुर में हिंसा घटित हुई है। महिलाओं पर अत्याचार किए गए, लेकिन सरकार ने 70 दिनों तक मौन साधा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री ने 36 सेकंड तक बोला। गोगाई ने मणिपुर का मुद्दा उठाया। फिर आया सवाल, ‘1963 और 1976 में क्या हुआ?’ संगरूर से सांसद सिमरनजीत सिंह मान: अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार को रोकना आवश्यक है। सिख समुदाय की हत्याओं को रोकने की आवश्यकता है जो दुनियाभर में हो रही हैं। मणिपुर में जो घटित हो रहा है, उसे देखकर हमें दुःख हो रहा है। यह प्रस्ताव कांग्रेस द्वारा नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष ने पेश किया है।

‘मणिपुर को आपने दो टुकड़ों में विभाजित किया है’, राहुल गांधी ने मोदी सरकार को सीधे निशाना साधा।

अमित शाह और स्मृति ईरानी ने ये कहा..

गृह मंत्री अमित शाह: मणिपुर में जो घटना हुई, वह दुखद है. उसकी खोज और तत्काल कार्रवाई के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। हम सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस मामले की जांच करेंगे और न्याय होगा। राजनीति के चश्मे से इस पर नज़र डालना भी विकल्प नहीं होना चाहिए। मणिपुर में हुई हिंसा एक शर्मनाक घटना है और हम इसके दुखद परिणामों के लिए सभी संभाव प्रयास कर रहे हैं। विपक्ष बिना जांचे ही राज्य में आर्टिकल 356 (राष्ट्रपति शासन) की मांग करना उचित नहीं है। हमने तत्काल कदम उठाया है और उपयुक्त सरकारी प्रवृत्तियों को बदलने का संकल्प लिया है। हम इस मुद्दे को गंभीरता से देख रहे हैं और सही कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी: मणिपुर तोड़ा नहीं जा सकता है, यह हमारी एकता का प्रतीक है. यह भारतीय संगठनता की एक महत्वपूर्ण अंग है और हम सभी इसके साथ हैं। कांग्रेस पार्टी का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है, लेकिन कुछ घटनाओं ने हमें सोचने पर मजबूर किया है। यह बिल्कुल सही नहीं है कि कोई भी व्यक्ति भारत माता की हत्या की बात करे। मणिपुर विभाजित नहीं है, बल्कि यह हमारे एकता और एकत्रितता की प्रतीक है। राहुल गांधी को अपने संगठन के सदस्यों के कार्यों की जांच करने की आवश्यकता है और उन्हें खुद की सोच पर गौर करना चाहिए।

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