हाइलाइट्स

हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है.
इस व्रत को करने से मनुष्यों के जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं.

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पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च दिन शनिवार को है. इस व्रत को करने से मनुष्यों के जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं. हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताने को कहा. तभी श्रीकृष्ण ने उनको पापमोचनी एकादशी व्रत की विधि और महत्व को उस कथा के माध्यम से बताया, जिसे ब्रह्म देव ने नारद मुनि को सुनाई थी. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं पापमोचनी एकादशी व्रत कथा के बारे में.

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा
एक समय की बात है. चित्ररथ नामक वन में देवराज इंद्र देवताओं और गंधर्व कन्याओं के साथ घूम रहे थे. उस वन में ही मेधावी नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे. वे भगवान शिव की पूजा करने वाले उपासक थे. एक बार कामदेव ने उस ऋषि की तपस्या को भंग करने के लिए मंजुघोषा नामक अप्सरा को उस वन में भेजा.

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मेधावी ऋषि युवा थे, वे उस अप्सरा के नृत्य, संगीत और रूप पर मोहित हो गए. वे दोनों रति क्रीड़ा में लीन हो गए. ऐसे उनके जीवन के 57 साल बीत गए. एक दिन मंजुघोषा ने मेधावी ऋषि से वापस देव लोक जाने की अनुमति मांगी. तब मेधावी ऋषि को ध्यान आया कि वे तो वन में तपस्या करने आए थे और इस अप्सरा के कारण वे पथ से विचलित हो गए.

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मेधावी ऋषि ने क्रोध में अप्सरा मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया. उसके बाद मंजुघोषा ने इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि पापमोचनी एकादशी का व्रत विधि विधान से करने पर पाप से मुक्ति मिलेगी और तुम पिशाच योनि से मुक्त हो जाओगी. इतना कहकर मेधावी ऋषि अपने पिता के आश्रम में चले गए.

जब पिता को इस बात की जानकारी हुई तो वे क्रोधित हुए और उन्होंने मेधावी ऋषि को भी पापमोचनी एकादशी व्रत रखने का आदेश दिया. जब चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि आई तो मंजुघोषा ने विधि विधान से पापमोचनी एकादशी व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से मंजुघोषा पिशाच योनि से मुक्त हो गई और फिर से वह स्वर्ग लोक को चली गई. मेधावी ऋषि ने भी व्रत रखा और वे अपने पापों से मुक्त हो गए.

इस प्रकार से जो भी व्यक्ति पापमोचनी एकादशी व्रत रखता है, उसके सारे पाप धुल जाते हैं और वह पाप मुक्त हो जाता है.

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