अगर आप फिल्म प्रेमी हैं, अच्छी फिल्में देखना पसंद करते हैं, बेहतर फिल्मों की जानकारी रखते हैं और…. क्या कह रहे हैं ‘द गॉडफादर’ के बारे में सुना तो है, लेकिन देखा नहीं. ‘हाउ डेयर यू डू देट? ‘ आप ऐसा करने की हिम्मत कर कैसे सकते हैं? अगर आप सचमुच अच्छी फिल्में देखना पसंद करते हैं, तो. …तो ये सवाल करना, आपसे बनता है. हम ये नहीं कहते कि ‘द गॉडफादर’ से अच्छी, उससे बेहतर फिल्म बनी ही नहीं. बिलकुल ऐसा नहीं है लेकिन ये उन चंद सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में शामिल जरूर है जिन्हें कल्ट-क्लासिक का दर्जा मिला है. जिन्होंने बेहतर फिल्मों की दुनिया में अपनी श्रेष्ठता न सिर्फ साबित की है बल्कि उसे बरकरार भी रखा है.
‘द गॉडफादर’ सिनेमेटिक हिस्ट्री में बहुत अदब से याद की जाने वाली फिल्म है. 15 मार्च को उसे रिलीज हुए 51 साल हो रहे हैं लेकिन उसका जादू सिर पर ऐसा चढ़ा है कि उतरने को तैयार ही नहीं है. इंटरनेशनल क्रिटिक्स हों या आम आदमी हर कोई इसे ‘सदाबहार सर्वश्रेष्ठ फिल्मों’ की सूची में बहुत ऊपर रखना चाहता है. ‘द गॉडफादर’ सीरीज की तीन फिल्मों में से ‘द गॉडफादर’ को 10 आस्कर नामांकन मिले, जीते 3, ‘द गॉडफादर 2’ को 11 आस्कर नॉमिनेशन में से 6 जीत हासिल हुई. ‘द गॉडफादर 3’ को जीत भले न मिली लेकिन 7 नॉमिनेशन फिर भी मिले. गोल्डन ग्लोब अवार्ड में भी पहले पार्ट को 7 नामांकन – 5 जीत, पार्ट 2 को 6 और पार्ट 3 को 7 नामिनेशन मिले.
एंटरटेनमेंट वीकली इसे सर्वकालिक महानतम फिल्म में शुमार करता है तो अमेरिकी फिल्म संस्थान इसे अमेरिकन सिनेमा के इतिहास की दूसरी महानतम् फिल्म की केटेगरी में रखता है.(पहली सिटिजन केन). इंटरनेशनल क्रिटिक्स द्वारा वर्ष 2002 में साइट एंड साउंड सर्वेक्षण होता है इसमें इस फिल्म (गॉडफादर 2) को चौथी सदाबहार सर्वश्रेष्ठ फिल्म के तमगे से नवाजा जाता है. ग्रेट एचीवमेंट तब भी होता है जब ‘गॉडफादर’ (1990 में) और ‘गॉडफादर 2’ (1993 में) को अमेरिका के राष्ट्रीय फिल्म रजिस्ट्री में संरक्षण के लिए प्रिजर्व किया जाता है. इसके बाद भी सम्मान और प्रतिष्ठा की अनेक उपलब्धियां अभी भी बताना बाकी हैं. ‘द गॉडफादर’ फ्रांसिस फोर्ड कोपोला द्वारा निर्देशित अमेरिकन क्राइम सीरीज फिल्मों की ट्रिलॉजी है. यह इटेलियन-अमेरिकन लेखक मारियो पूजो के इसी नाम के चर्चित उपन्यास पर आधारित है.
इस सीरीज की पहली मूवी 15 मार्च 1972 को रिलीज हुई थी. ‘द गॉडफादर 2′ 20 दिसंबर 1974 को तथा द गॉडफादर 3’ 25 दिसंबर 1990 को दर्शकों तक पहुंची. सीरीज़ की चौथी फिल्म बनने वाली थी पर मारियो पूजो की डेथ के कारण यह प्रोजेक्ट पहले तो टल गया और बाद में निर्माण का आइडिया ही त्याग दिया गया. ताजा सूचनाओं पर यकीन करें तो फिल्म की वितरक कंपनी पैरामाउंट पिक्चर्स ने ‘द गॉडफादर’ श्रंखला की नई फिल्में बनाने के अधिकार प्राप्त कर लिए हैं. फिल्में तो तीन बनी हीं. उपन्यास की सीरीज भी लिखी गई जो मारियो पूजो की मृत्यु के बाद भी जारी रही. मारियो पूजो लिखित पहला उपन्यास ‘द गॉडफादर’ मार्च 1969 में प्रकाशित हुआ, जबकि नवंबर 1964 में दूसरा उपन्यास ‘सिसिलियन’ पढ़ने को मिला. जुलाई 1999 में मारियो पूजो की मौत के बाद मार्क वाइनगार्डनर ने दो उपन्यास इस श्रंखला में लिखे. पहला ‘द गॉडफादर रिटर्न’ नवंबर 2004 में और फिर ‘गॉडफादर रिवेंज’ नवंबर 2006 में सामने आए. मई 2012 में ‘द फैमिली कोरलियॉन’ एडवर्ड फाल्को ने लिखा. इस उपन्यास में प्रिक्वेल कहानी है. बता दें कोरलियॉन फैमिली पहले उपन्यास और फिल्म सीरीज ‘द गॉडफादर’ के मुख्य किरदार हैं.
‘द गॉडफादर’ फिल्म सीरीज से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें…
जिस फ्रांसिस फोर्ड कोपोला ने अपने जादुई निर्देशन से इसे महानतम् फिल्म का दर्जा दिलाया, वो निर्माताओं की पहली पसंद नहीं थे. इतालवी निर्देशक सर्जियो लियोन को सबसे पहले निर्देशन का ऑफर दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया क्योंकि वे यहूदी-अमेरिकी गैंगस्टरों पर केन्द्रित ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन अमेरिका’ (1984) को निर्देशित करने वाले थे. बाद में यह ऑफर पीटर बॉगडेनोविच तक पहुंचा लेकिन उन्होंने भी ‘व्हाट अप डॉक’ (मार्च 1972) निर्देशित करना उचित समझा. दिलचस्प तो ये है कि खुद कोपोला इसके निर्देशन के लिए अनिच्छुक थे. बाद में उनकी अनिच्छा इच्छा में तब्दील हुई.
इसके बाद भी कोपोला और निर्माता के बीच अलग-अलग मुद्दों पर तकरार जारी रही. ‘द गॉडफादर’ की जब भी बात होगी मर्लन ब्रेंडो और एल पचीनो के बिना पूरी नहीं होगी. ब्रेंडो ने डॉन वीटो कोरलियॉन (पहले गॉडफादर) का किरदार निभाया. एल पचीनो ने वीटो का बेटे माइकल कोरलियॉन का, जिसे उत्तराधिकार में गॉडफादर की पदवी मिली. ये दोनों कमाल के मैथड अभिनेता थे. मजे की बात है कि मुख्य किरदार निभाकर उसे अमर करने वाले मर्लन ब्रेंडो और एल पचीनो पेरामाउंट पिक्चर्स की पसंद थे ही नहीं. मर्लन ब्रेंडो तो पेरामाउंट के अर्नेस्ट बार्गनाइन को फूटी आंख नहीं सुहाते थे. लंबी बहस के बाद निर्देशक को मर्लन को लेने की अनुमति मिली, लेकिन तीन कड़ी शर्तों के साथ. पहली – मर्लन को स्क्रीन टेस्ट देना पड़ेगा. दूसरी- पिछली फिल्मों से कम फीस पर काम करना होगा. तीसरी शर्त थी – मर्लन को अनुबंध करना होगा कि वे अपने व्यवहार को संयत रखेंगे और उनके कारण फिल्म निर्माण में बाधा उत्पन्न नहीं होगी. जैसा उनके कारण उनकी पिछली फिल्मों में हुआ था.
स्क्रीन टेस्ट हुआ और पेरामाउंट ने ब्रेंडो का पहला टेस्ट फुटेज देखा तो दंग रह गए. उन्होंने तत्काल स्वीकृति तो दी ही, अपनी बाकी दो शर्तें भी वापस ले लीं. निर्देशक कोपोला की मुसीबतें यहां आकर भी खत्म नहीं हुई. वे गॉडफादर के बेटे के किरदार (जो बाद में नया डॉन और गॉडफादर बनता है) के लिए एल पचीनो को लेना चाहते थे. लेकिन निर्माताओं की पसंद जुदा थी. मामला ज्यादा उलझने लगा तो कोपोला ने फिल्म छोड़ने की धमकी दे दी. धमकी के आगे पेरामाउंट को झुकना पड़ा और इस तरह एल पचीनो की फिल्म में एंट्री हुई. फिल्म को निर्देशक का मीडिया यूं ही नहीं कहा जाता. फ्रांसिस फोर्ड कोपोला जैसे निर्देशक इसे बार-बार साबित भी करते हैं. बाद के दिनों में ऑल टाइम सदाबहार और कल्ट क्लासिक का दर्जा पाने वाली फिल्म ‘द गॉडफादर’ की सफलता साबित करती है कि कोपोलो की हठधर्मिता सही थी, बेहतर क्रिएशन के लिए थी.
निर्देशन के क्रिएशन की बात कर रहे हैं तो एल पचीनो की भी चर्चा कर लेते हैं. हुआ यूं कि सीरीज की तीसरी फिल्म ‘गॉडफादर 3’ बनाने की प्लानिंग हुई तो निर्देशक कोपोला ने एल पचीनो को कंटीन्यू करने को कहा और पांच मिलियन डॉलर की फीस भी ऑफर की. परंतु एल पचीनो ने सात मिलियन डॉलर और प्रॉफिट में शेयर की शर्त रखी. जवाब में कोपोला ने एल पचीनो की शर्त ठुकराते हुए कहा कि अब वो तीसरी फिल्म की शुरूआत उनके किरदार यानि माइकल कोरलियॉन के फ्यूनरल से करेंगे. अंतत: अपने किरदार को मरने से बचाने के लिए एल पचीनो ने अपनी शर्तें वापिस ले लीं और पांच मिलियन डॉलर में फिल्म करने को राजी हो गए. ‘द गॉडफादर’ सीरीज की यह तीसरी फिल्म ही ऐसी इकलौती फिल्म थी जिसे ऑस्कर में सात नामिनेशन तो जरूर मिले पर अवार्ड एक भी नहीं मिला. बताते चलें ‘द गॉडफादर’ पहली ऐसी ट्रिलॉजी थी जिसकी तीनों फिल्मों को सर्वश्रेष्ठ पिक्चर के लिए आस्कर नामांकन के मिला. ये अलग बात है कि इसे सीरीज के पहले दो भाग के लिए ही यह पुरस्कार मिला. दो सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार पाने वाली यह इकलौती सीरीज मूवी है. ‘द लार्ड ऑफ द रिंग्स’ तीन फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार पाने वाली एकमात्र सीरीज मूवी है.
किसी फिल्म को क्या एक छोटे से सीन के लिए भी याद किया जा सकता है. जी हां, द गॉडफादर का एक छोटा सा सीन भरपूर चर्चा में तो आया ही, विवाद का कारण भी बना. फिल्म के एक दृश्य में एक पात्र जब सुबह सोकर उठता है तो अपने बिस्तर पर अपने सबसे प्रिय घोड़े का कटा हुआ सिर पाता है. इस सीन को रियल टच देने और रोमांच पैदा करने के लिए सचमुच एक घोड़े का सिर काटकर उसे केरेक्टर के पलंग तक पहुंचा दिया गया था. पशु अधिकार समूहों ने इसका तीखा विरोध किया. तब निर्देशक की ओर से सफाई सामने आई कि घोड़े का सिर उन्हें एक ऐसी कंपनी ने उपलब्ध कराया था जो कुत्तों के लिए खाना उपलब्ध कराती है. फिल्म के सीन के लिए घोड़े के सिर को विशेष रूप से धड़ से अलग नहीं किया गया है. प्रारंभिक दृश्य में डॉन वीटो (गॉडफादर) की गोद में एक बिल्ली को दिखाया जाता है जो प्रॉप की तरह इस्तेमाल की गई थी. यह बिल्ली स्टूडियो के आसपास घूमती रहती थी और आखिरी मिनिट में वीटो की गोद में बैठा दिया गया था. इंटरेस्टिंग यह था कि बिल्ली बहुत जल्दी ही वीटो का किरदार निभा रहे ब्रेंडो से हिलमिल गई थी.
चलते-चलते ये भी बता दें कि पैरामाउंट पिक्चर ने लेखक मारियो पूजो से इस फिल्म के अधिकार तब प्राप्त कर लिए थे जब ये उपन्यास पूरा लिखा ही नहीं गया था. कहानी बीच में थी तभी पैरामाउंट ने यह पूर्वानुमान लगा लिया था कि इस पर एक शानदार फिल्म बन सकती है. बेशक ये सच है कि फिल्म डायरेक्टर का मीडिया है और डायरेक्टर टीम का का निर्विवाद कैप्टन है, लेकिन ये भी उतना ही सच है कि फिल्म बनाना सामूहिक उपक्रम है, टीम वर्क है. अच्छी टीम, अच्छी फिल्म.
शकील खानफिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला समीक्षक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक और निर्देशक हैं. एक फीचर फिल्म लिखी है. एक सीरियल सहित अनेक डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं.