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रिपोर्ट-कृष्ण कुमार

नागौर.जैसे-जैसे रबी की फसल के पकने का समय आ रहा है, वैसे-वैसे फसलों के भाव गिरने शुरु हो गए है. इस कारण किसानों के चेहरों की रौनक धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं. फसल का भाव गिरने पर सबसे ज्यादा असर मेड़ता क्षेत्र के किसानों पर पड़ रहा है, क्योंकि इस बार मेड़ता क्षेत्र के गांवों में ईसबगोल की फसल की खेती सबसे ज्यादा हुई है.

आपके शहर से (नागौर)

ईसबगोल के खेत में बैठा किसान.

मेड़ता क्षेत्र के किसानों ने इस बार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा क्षेत्र में ईसबगोल की बुवाई की है. मेड़ता के जारोड़ा गांव के निवासी रामरत्न ने बताया कि ईसबगोल की बुवाई अब धूमिल होती नजर आ रही है. पिछले सप्ताह से लगातार गिर रहें भावों से किसानों के चेहरों पर मायूसी छाने लगी हैं. इसबगोल एक औषधीय पौधा है, जो एलोपौथी और आयुर्वेदिक औषधी बनाने में इस्तमाल किया जाता है. इसे पेट संबंधी और अन्य कई बिमारियों के उपचार में काम में लिया जाता है.

जानकारी के अनुसार मेड़ता तहसील में पिछले साल 25400 हैक्टेयर में ईसबगोल बोया गया था. वहीं, पिछले साल भाव 15000-16000 प्रति क्विंटल था. पिछले साल के भाव को देखते हुऐ किसानों ने इस बार 46200 हैक्टयेर पर ईसबगोल की बुवाई की, लेकिन लगातार गिरते भाव की वजह से किसानों के आय की उम्मीद कम होती दिख रही है. भाव गिरने की वजह से किसानों का यह दांव उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा हैं.

जनवरी में 16 हजार तक थे भाव

जनवरी महीने में ईसबगोल के भाव 16000 – 17000 प्रति क्विंटल से ऊपर थे, लेकिन फरवरी-मार्च माह के अंतिम दो सप्ताह आते-आते 3000- 4000 रुपये प्रति क्विंटल भाव कम हो गए. वर्तमान में भाव 13000 रुपए प्रति क्विंटल हैं. मेड़ता क्षेत्र के किसानों के लिए यह फसल फायदेमंद रहती है, क्योंकि कम पानी में अच्छी पैदावार हो जाती है.

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