Bihar Politics: बिहार में लड़कियां भी बेच रहीं शराब? प्रशांत किशोर का बड़ा बयान, कहा
Bihar Politics: प्रशांत किशोर ने बताया कि जब लोगों को शराब की आपूर्ति नहीं होती, तो वे विभिन्न प्रकार के अन्य पदार्थों का सहारा लेते हैं। बिहार में शराब जालासाजों के साथ-साथ खदान जालासाजों का भी प्रभाव प्रमुख है, जिनका बड़ा प्रभाव है।
समस्तीपुर: बिहार में शराबबंदी की विवादित स्थिति ने मंगलवार (8 अगस्त) को प्रशांत किशोर को बड़े बयान के रूप में उत्तरकंड से सहलाता हुआ दिखाया। उन्होंने इस बार न केवल शराबबंदी के प्रति अपने स्थितिकरण को प्रकट किया, बल्कि इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को भी छूने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि शराबबंदी के कारण लोग अवैध तरीके से नशे के उपयोग में वृद्धि कर रहे हैं, जिसमें लड़कों के साथ-साथ लड़कियों की भी शामिली हो रही है।
इसके साथ ही, वे शराबबंदी से होने वाले करोड़ों के नुकसान का भी जिक्र करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बिहार में दो ताकतवर उद्योगों की बात की जा रही है – एक तरफ शराब माफिया और दूसरी तरफ बालू माफिया। यह दिखता है कि सरकार ने शराब के अवैध व्यापारिक कारोबार को बढ़ावा दिया है, जो न केवल नैतिकता की परिकल्पना को कमजोर करता है, बल्कि आर्थिक प्रणाली को भी हानि पहुँचाता है।
प्रशांत किशोर के इस बयान से जुड़े तत्व उनके सोच की दिशा में एक नई दिशा प्रदान करते हैं, जिसका मकसद न केवल शराबबंदी के मुद्दे को उजागर करना है, बल्कि समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता पैदा करना भी है।
पीके बोले- घर-घर हो रही है शराब की डिलीवरी
समस्तीपुर: शराबबंदी के बावजूद बिहार में नशे के अवैध रूपों का खेल जारी है, इसकी चिंता प्रशांत किशोर ने मंगलवार (8 अगस्त) को उत्तरकंड से सहलाते हुए व्यक्त की। उन्होंने दर्शाया कि शराबबंदी से बंद हो गई दुकानें केवल दिखावे के लिए हैं, क्योंकि अब घर-घर होम डिलीवरी के जरिए शराब की आपूर्ति हो रही है। यह कारोबार नये लड़कों और युवाओं के साथ-साथ लड़कियों को भी शामिल कर रहा है, जिसके चलते अवैध नशे का नायाब मामला उत्पन्न हो रहा है।
प्रशांत किशोर ने बताया कि शराबबंदी के परिणामस्वरूप बिहार में करीब 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है, जिसमें यह पैसा पुलिस, प्रशासन और शराब माफिया के हाथों में जा रहा है। उनके विचार से यह भी स्पष्ट होता है कि बालू माफिया के साथ शराब माफिया भी बिहार में प्रभावशाली ताकतें बन चुकी हैं, जिनका परिणामस्वरूप सरकार और समाज दोनों के लिए हानिकारक है।
प्रशांत किशोर की पदयात्रा ने बिहार के गांवों में एक नई चेतना पैदा की है। उन्होंने लोगों से मिलकर उन्हें वोट की महत्वपूर्णता समझाई है, जिससे सामाजिक और आर्थिक सुधार संभव हो सके। उनकी दिन-रात की पदयात्रा ने उन्हें बिहार की समस्याओं के साथ-साथ लोगों के दर्द को भी समझने में मदद की है।