साल 2009 में जब कोचर ने ICICI की कमान संभाली थी, उस समय पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही थी। इस दौरान, चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत पर कई गंभीर आरोप लगाए गए। चार्जशीट में दर्ज अपराधों के संबंध में केंद्रीय एजेंसी ने विस्तृत जांच की जानकारी प्रस्तुत की थी। ये आरोप चंदा कोचर और उनके साथीदारों के खिलाफ गंभीर समय पर किए गए थे और इसने उन्हें बड़े चक्रव्यूह में फंसा दिया था। इस संदर्भ में 10 हजार से अधिक पन्नों की चार्जशीट में केंद्रीय एजेंसी ने सौंपे गए आरोपों के अनुसार उन्हें सख्ती से जांचने का काम शुरू किया गया था। इस विवाद से जुड़ी चर्चा और विवाद उस समय तेजी से चल रहे थे और लोगों के मन में उनके खिलाफ सवाल उठ रहे थे।
चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान मंजूर किए गए थे लोन।
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर (Chanda Kochhar), उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के फाउंडर वेणुगोपाल धूत के खिलाफ दायर चार्जशीट में बड़ी बात सामने आई है। आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के लोन के नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) के रूप में घोषित किया है। इससे संबंधित चार्जशीट में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जब लोन लेने वाला रकम को चुकाने में सक्षम नहीं होता है, तो बैंक की रकम फंस जाती है और बैंक इसे NPA घोषित कर देता है।
10 हजार पन्नों की चार्टशीट
10 हजार से अधिक पन्नों की चार्जशीट में केंद्रीय एजेंसी ने चंदा कोचर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्हें आईसीआईसीआई बैंक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बैंक की एमडी और सीईओ बनने के बाद एक मई 2009 से वीडियोकॉन ग्रुप को छह ‘रुपी टर्म लोन’ (RTL) मंजूर किए गए थे। आरोपपत्र में कहा गया है कि जून 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच बैंक ने समूह को कुल 1,875 करोड़ रुपये के आरटीएल स्वीकृत किए थे।
साजिश के तहत लिया गया लोन
चंदा कोचर निदेशकों की एक दो सदस्यीय समिति की अध्यक्ष थीं, जिसने अगस्त 2009 में वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (VIEL) को 300 करोड़ रुपये के रुपी टर्म लोन (RTL) मंजूर किए थे। एजेंसी ने बताया कि इस टर्म लोन के द्वारा आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया था। चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली निदेशक समिति द्वारा 26 अगस्त 2009 को वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी और इस लोन की राशि 7 सितंबर, 2009 को डिस्ट्रीब्यूट की गई थी।
इसके अलावा, वीडियोकॉन के विभिन्न कंपनियों से जुड़ी एक जटिल संरचना के जरिए वेणुगोपाल धूत की कंपनियों ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की न्यूपावर रिन्यूएबल लिमिटेड में निवेश की आड़ में 64 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की थी।
5 करोड़ का घर 11 लाख में ट्रांसफर
सीबीआई ने आरोप लगाया कि दीपक कोचर मुंबई में सीसीआई चैंबर्स स्थित एक फ्लैट में रहते थे, जिसका मालिकाना हक वीडियोकॉन समूह के पास था। चंदा कोचर वीडियोकॉन ग्रुप के स्वामित्व वाले उस फ्लैट में रहती रहीं और बाद में फ्लैट उनके पारिवारिक ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया गया। उस ट्रस्ट के प्रबंधक ट्रस्टी दीपक कोचर हैं। फ्लैट को अक्टूबर 2016 में 11 लाख रुपये की मामूली रकम पर ट्रांसफर किया गया था, जबकि फ्लैट की कीमत वर्ष 1996 में ही 5.25 करोड़ रुपये थी।
सीबीआई ने कहा कि चंदा कोचर ने 64 करोड़ रुपये की ‘रिश्वत’ ली और इस तरह अपने इस्तेमाल के लिए बैंक के धन का दुरुपयोग भी किया। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि वेणुगोपाल धूत ने प्लांट और मशीनरी के लिए लोन लिया था। आरोप-पत्र में दावा किया गया कि 305.70 करोड़ रुपये की राशि को डायवर्ट किया गया और कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया गया।
बैंक को 1,033 करोड़ का नुकसान
आरोप पत्र में कहा गया है कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को स्वीकृत ऋण सुविधाएं जून 2017 में एनपीए में बदल गईं, जिसमें 1,033 करोड़ रुपये की बकाया राशि थी। इसके चलते आईसीआईसीआई बैंक को 1,033 करोड़ रुपये और ब्याज का नुकसान उठाना पड़ा। मामले के सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर हैं और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 29 अगस्त है।
ट्रेनी से सीईओ के पद पर पहुंची थीं चंदा कोचर
चंदा कोचर ने 1984 में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में ICICI ज्वाइन किया था, जब उनकी उम्र सिर्फ 22 साल थी। इस समय प्रबंध निदेशक और CEO के पद कोचर को उनके काम के प्रति दिखे नजरिए के कारण सौंपा गया था। 1993 में, उन्हें कॉर्पोरेट बैंकिंग का चार्ज दिया गया और एक साल के टार्गेट को कोचर ने सिर्फ 3 महीनों में ही पूरा कर लिया था।