j&k news : कोकरनाग आतंकवादियों के सफाए में 6 दिन: समझें पूरा मामला……
कोकरनाग में सेना का ‘ऑपरेशन गैरोल’
कोकरनाग क्षेत्र में चल रहे आतंकियों के साथ हो रहे एनकाउंटर का आज छठा दिन है, जो एक घातक मानसिकता की जंग का प्रतीक है। यह बात साबित करती है कि भारतीय सुरक्षा बलों की साहसी और निरंतर संघर्ष भारतीय ग्रामीणों के लिए सुरक्षा और शांति के लिए कठिन कदम बढ़ा रही हैं।
इस ऑपरेशन में जम्मू-कश्मीर के कोकरनाग क्षेत्र के बाघ कटरा में आतंकियों के साथ जबरदस्त और बारूदी झड़प हो रही है। इसके दौरान, सेना ने ड्रोन के साथ और रॉकेट लॉन्चर के साथ भी कई आक्रमण किए हैं, जिससे कि आतंकी संगठनों को बड़ी नुकसान पहुंचा है। यह घातक संघर्ष कोकरनाग क्षेत्र की कठिन भूमि, दुर्गम गुफाएं, और पहाड़ों की वजह से और भी जटिल बन रहा है। आतंकियों ने इस क्षेत्र को अपने आतंकी कार्यों के लिए चुना है, जिसके परिणामस्वरूप यहां के लोग भी जोखिम में रहते हैं।
इस घातक ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने आतंकी संगठनों के सदस्यों को ड्रोन के माध्यम से बरामद किया और उन्हें अच्छूत गुफाओं में छुपे होने के आसपास के इलाकों में बीचा दिया। इससे सुरक्षा बलों को आतंकी संगठनों के स्थान का पता चला और उन्हें निष्क्रिय करने का मौका मिला।
इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने एक आतंकी का जला हुआ शव भी बरामद किया है, जिससे कि उनका मानना है कि इस आतंकी संगठन को बड़ा झटका पहुंचा है। इससे प्रमाणित हो रहा है कि आतंकी संगठनों के सदस्य घातक ऑपरेशन के चलते लक्षित हो रहे हैं और सुरक्षा बलों के लिए यह एक महत्वपूर्ण और सफल कदम है।
चुनौतीपूर्ण है कोकरनाग की भौगोलिक स्थिति
कोकरनाग जैसे जंगली और दुर्गम इलाकों में आतंकवादी ग्रुप्स के खिलवाड़ में यह अद्भुत चुनौती है कि सुरक्षा बलों को आतंकियों के संगठनों को निष्क्रिय करने में सफलता प्राप्त करें। कोकरनाग क्षेत्र की भौगौलिक स्थिति और मौसम की खासियतें इसे एक विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।
कोकरनाग क्षेत्र की भौगौलिक स्थिति इसे सुरक्षा के लिए संघर्ष करने में और भी जटिल बनाती है। इस क्षेत्र की पहाड़ियों, घाटियों, और गुफाओं में आतंकियों के लिए जगह छिपने की आसानी होती है, और वे वहां से अपने आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ा सकते हैं। यहां की वनस्पति, वन्यजीवों, और वन्यजीवों के लिए अपने प्राकृतिक आवास के लिए भी मशहूर है, जिससे इस इलाके का प्रबंधन और सुरक्षा और भी जटिल हो जाता है।
सुरक्षा बलों ने ड्रोन और हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया है, जो आतंकी संगठनों के सदस्यों को खोजने और उनके ठिकाने को निगरानी करने में मदद करते हैं। ड्रोन के सहायक आधार पर सुरक्षा बलों को इस घातक ऑपरेशन की योजना बनाने और आतंकी संगठनों को तबादला करने के लिए जरूरी जानकारी मिलती है। हेलिकॉप्टर ने इस इलाके की निगरानी कर रहे हैं और सुरक्षा बलों को त्वरित रूप से किसी आतंकी गतिविधि का पता लगाने में मदद करते हैं।
कोकरनाग क्षेत्र के बीच में यह लड़ाई जारी है और सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण जीतों की ओर कदम बढ़ा रही है। इस संघर्ष में आतंकी संगठनों को निष्क्रिय करने का प्रयास केवल सुरक्षा को ही नहीं, बल्कि भारत के नागरिकों के लिए भी सुरक्षा और शांति की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह स्थिति हमें यह दिखाती है कि भारतीय सुरक्षा बल अपने कर्तव्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और उनका उद्देश्य देश की सुरक्षा और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
पीर पंजाल की पहाड़ियों पर चल रहा ऑपरेशन
पीर पंजाल की पहाड़ियों में चल रहे यह ऑपरेशन एक चुनौतीपूर्ण मिशन है, जो सुरक्षा बलों के लिए विशेष रूप से कठिनाईयों का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र की ख़ास भौगौलिक स्थिति और मौसम की विशेषताएँ इसे आतंकवादी ग्रुप्स के लिए आकर्षक बना रही हैं, और इसके लिए सुरक्षा बलों को जूझना पड़ रहा है।
कोकरनाग क्षेत्र, जो पीर पंजाल की पहाड़ियों में स्थित है, आतंकवादी संगठनों के लिए सर्वाधिक फायदेमंद है क्योंकि यहां की विशेष भौगौलिक स्थिति काफी अवसर प्रदान करती है। इस इलाके में 170 किलोमीटर का विस्तार है, और यह खूबसूरत पहाड़ियों, घाटियों, और गुफाओं से भरपूर है। इन सुनसान और आपूर्ण स्थानों में आतंकी संगठनों के लिए होने के बावजूद सुरक्षित स्थान बना रहता है, जहां वे अपने गुप्त शिष्यों के साथ बस सकते हैं।
इसके अलावा, कोकरनाग क्षेत्र की ऊँचाइयों का मतलब है कि सुरक्षा बलों को आतंकी संगठनों के ठिकानों तक पहुँचने में अत्यधिक समय और श्रम की आवश्यकता होती है। इससे सुरक्षा बलों का संघर्ष और भी जटिल हो जाता है, और आतंकी संगठनों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होने में बहुत आसानी होती है।
इस ऑपरेशन के दौरान, सुरक्षा बलों को यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे आतंकी संगठनों को ढूंढ़ सकें, वे ड्रोन और हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो उन्हें उच्च स्थानों से आतंकी संगठनों की गतिविधियों का पता लगाने में मदद कर रहे हैं।
पीर पंजाल के जंगल और गुफाएं आतंकी संगठनों के लिए एक संरक्षित अड्डा बन गए हैं, जिन्हें सुरक्षा बलों को देखना और निष्कर्षण करना मुश्किल बनाता है। उनके लिए यह एक बड़ी चुनौतीपूर्ण मिशन है, जिसमें उन्हें न केवल आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को ढूंढ़ना है, बल्कि उनके संगठनों को पूरी तरह से खत्म करने का भी काम है।
इस ऑपरेशन के माध्यम से, सुरक्षा बल आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सशस्त्र और सावधानीपूर्ण रूप से कार्रवाई कर रहे हैं और आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को निष्कर्षण करने के प्रयास कर रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण और जटिल ऑपरेशन है, जो देश की सुरक्षा और स्थिति सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।
संगठनों के नाम बदलना आतंकियों की रणनीति
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी रहे एसपी वैद्य के द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों की रणनीति के बारे में की गई बातें महत्वपूर्ण हैं। यह सत्य है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में अपने संगठनों के कैडर को फैलाया है, जिससे इस इलाके में आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पाकिस्तान की रणनीति के हिस्से के रूप में यह साबित हो रहा है कि वे नाम बदलकर अपनी एक्टिविटी कर रहे हैं, ताकि वे दुनिया के सामने नहीं आएं और उनकी संगठनों के खिलाफ आक्रमण करने में कठिनाई हो। इसका मुख्य कारण है कि वे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के साथ जुड़कर अपनी आतंकी गतिविधियों को चुपके से कर रहे हैं।
इसके परिणामस्वरूप, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के साथ-साथ राज्य के सुरक्षा बलों के लिए भी एक और चुनौती उत्पन्न हो रही है। वे चाहते हैं कि आतंकी संगठनों के साथ संघर्ष करते समय उनके संगठनों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करें ताकि वे उनके खिलाफ सफलता प्राप्त कर सकें।
पाकिस्तान की इस रणनीति के पीछे यह भी सच है कि वे चाहते हैं कि उनके संगठनों का नाम दुनिया में ना आए, ताकि उन्हें अपनी आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मान्यता प्राप्त करने में कठिनाई न हो। इससे सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर होने वाले संगठनों को भी समर्थन प्राप्त होता है, जिन्हें वे अपनी आत्मरक्षा के लिए उपयोग करते हैं।
इसके परिणामस्वरूप, यह साबित करता है कि जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा बलों के लिए न केवल आतंकी संगठनों के साथ संघर्ष करने की चुनौती है, बल्कि उन्हें इन संगठनों के बदलते तरीकों की भी निगरानी रखनी होगी, ताकि वे नई रणनीतियों के साथ बदलते स्थितियों का समर्थन न करें। इसके लिए उन्हें अपनी रणनीति को समय-समय पर संशोधित करते रहने की आवश्यकता होती है, ताकि वे आतंकी संगठनों के खिलाफ सफलता प्राप्त कर सकें।
12 सितंबर को सेना ने शुरू किया था ऑपरेशन
12 सितंबर को शुरू हुआ ऑपरेशन कोकरनाग कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है, जिसमें वे आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ में लगे हैं। इस ऑपरेशन का उद्देश्य था कोकरनाग इलाके में छिपे आतंकियों को ढूंढ़ना और निष्क्रिय करना। इस इलाके की भौगोलिक स्थिति और पहाड़ों की घने जंगलों ने इस ऑपरेशन को एक औरत चुनौती देने में मदद की है।
इस ऑपरेशन के दौरान, सेना और पुलिस के साथ-साथ कई जवान शहीद हो गए हैं, जिसमें कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक, और डीएसपी हुमायूं भट भी शामिल हैं। इन बलिदानी वीरों का सम्मान किया गया है और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना और साहस की सराहना की गई है।
ऑपरेशन के दौरान, सुरक्षाबलों के सामने कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जैसे कि पहाड़ों की बेहद ख़तरनाक और जंगली भौगोलिक स्थिति, जिसमें आतंकी संगठनों को छिपने के लिए मिली सुरक्षा है। इसे एक चुनौती के रूप में माना जा सकता है, क्योंकि यह इस ऑपरेशन को अधिक जटिल और लंबा बनाता है। इस ऑपरेशन के दौरान, सुरक्षाबलों ने कई आतंकी उपरोक्त इलाके में ढूंढ़ने के लिए कई उपायों का इस्तेमाल किया, जैसे कि ड्रोन्स और रॉकेट लॉन्चर्स, जिनसे वे आतंकी संगठनों के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर सकते थे। कुल मिलाकर, यह ऑपरेशन एक बड़ी महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करता है, जिसमें सुरक्षाबलों को न केवल आतंकी संगठनों के साथ संघर्ष करना होगा, बल्कि उन्हें अपनी रणनीतियों को अद्यतित रखने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने की भी आवश्यकता होगी। इसके परिणामस्वरूप, सुरक्षाबलों को अपनी मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए निरंतर तैयार रहना होगा, ताकि वे आतंकी संगठनों को नकारात्मक और प्रभावी तरीके से सामना कर सकें।
‘ऑपरेशन गैरोल’ नाम क्यों रखा गया?
‘ऑपरेशन गैरोल’ का नाम सीधे संदर्भ के आधार पर रखा गया है, ताकि इसका संदेश स्पष्ट हो सके कि यह ऑपरेशन कोकरनाग इलाके के गैरोल गांव में आतंकी संगठनों के खिलाफ दिया जा रहा है। इस नामकरण के माध्यम से, सुरक्षाबलों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह ऑपरेशन किस खास क्षेत्र में चल रहा है और जगह के स्थानीय लोगों को इसकी महत्वपूर्ण जानकारी देना भी मुश्किल नहीं होता। इस प्रकार, ऑपरेशन को इसके लक्ष्य क्षेत्र के रूप में पहचानने में मदद मिलती है और व्यक्तिगत गांव के नाम का उपयोग जानकारी और संवाद के लिए किया जा सकता है।
बारामूला में तीन और राजौरी में एक आतंकी ढेर
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ-साथ आतंकियों के बीच हुए मुठभेड़ों का दौर जारी है। इसका पहला मामूला तब हुआ था जब कोकरनाग में आतंकियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन गैरोल’ शुरू किया गया था, जिसमें एक सेना कर्नल, एक मेजर, और एक डीएसपी शहीद हो गए थे। इसके पश्चात्, बारामूला में भी तीन आतंकी मारे गए, जब वे उरी सेक्टर के पास घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे।
राजौरी में एक आतंकी को ढेर किया गया था, जिसमें सेना के एक जवान की भी मौके पर ही मौत हो गई और एक फीमेल लेब्रोडोर कुत्ते केंट की मौके पर ही चोटें आने से मौत हो गई। यह घटनाएँ दिखाती हैं कि जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों और जंगलों में आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं और सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ों का संघटन बढ़ता जा रहा है।
यह घातक आतंकी हमले और मुठभेड़ें जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा बलों के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण हैं, और सुरक्षाबलों के प्रति हमारी समर्थना है कि वे आतंकियों के खिलाफ जारी रहें और इस खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहें।