Manipur news LIVE update: 100 दिनों बाद भी 150 मौतें और 10 हजार घर तबाह… जानिए हालात का सच
मणिपुर में 3 मई से जारी है हिंसा
मणिपुर में 100 दिनों तक जारी हिंसा का खुलासा: 150 मौतें और 10 हजार घर तबाह”
मणिपुर के दुखद संग्राम के 100 दिनों के बाद भी हिंसा का खंडन करने वाले आदिवासी मंच ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। मणिपुर में अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है और इस हिंसा के परिणामस्वरूप 10 हजार से अधिक घर तबाह हो चुके हैं।
संसद में भी मणिपुर के मुद्दे को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया और आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर उत्तर दिया। मणिपुर के ताजा हालातों के बारे में जानकारी देते हुए, उन्होंने बताया कि अब तक 11,006 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें हिंसा से जुड़े हैं। राज्य में हिंसा के परिणामस्वरूप 10 हजार से अधिक घरों को नुकसान पहुंचाया गया है।
मणिपुर ट्राइबल्स फोरम ने अपने दावे में बताया कि 100 दिनों तक किए गए प्रयासों के बावजूद मणिपुर में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है। फोरम के अनुसार, इस दौरान 130 आदिवासियों की मौत हो चुकी है और और 55000 लोग बेघर हो चुके हैं।
मणिपुर ट्राइबल्स फोरम ने दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी दावा किया कि मणिपुर के संकटमय परिदृश्य में गहरे बदलाव की आवश्यकता है और उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए कोई सुरागदार मार्ग नहीं दिखाया है।
मणिपुर हिंसा: गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर उठे सवाल
बुधवार को संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में व्याप्त हो रही समस्याओं का संदर्भ देते हुए कहा कि इन समस्याओं का मुख्य कारण पड़ोसी म्यांमार से कुकी शरणार्थियों के आने के बाद से होना शुरू हुआ है, जब स्थानीय सैन्य शासकों ने 2021 में उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस बयान के संदर्भ में मणिपुर ट्राइबल्स फोरम ने अपनी राय दी, जिसमें कुकी शरणार्थियों के आने के पीछे का कारण महत्वपूर्ण नहीं दिखाया गया है।
फोरम ने बताया कि गृह मंत्री के बयान के आधार पर संसद में किए गए उनके आरोपों का उत्तराधिकारी जांच की आवश्यकता हो सकती है। क्या यह आरोप वास्तविकता में हिंसा के पीछे के कार्यों को उचित ठहराते हैं?
शाह ने यह भी बताया कि कुकी शरणार्थियों का मणिपुर के घाटियों में बसना बदल दिया है, जिससे उनके अनुसार क्षेत्र में जनसंख्या के परिवर्तन की आशंका बढ़ गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंसा की शुरुआत तब हुई जब अफवाहें फैलने लगीं कि शरणार्थी बस्तियों को गांव घोषित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया में मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश ने नया दिशा दिया है।
अमित शाह ने बताए मणिपुर के ताजा हालात
“अमित शाह का मणिपुर हिंसा पर प्रतिक्रिया”
मणिपुर हिंसा के मामले में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में अपने विचार व्यक्त किए, जहाँ उन्होंने कहा कि वे एक समाज के तौर पर मणिपुर में हो रही हिंसा की घटनाओं से शर्मिंदा हैं और उन्हें इसका दुख है। वे यह भी बताए कि मणिपुर में अब तक 152 लोगों की मौत हो चुकी है और इस आंकड़े को छिपाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि हिंसा कम होती जाए और स्थिति शांत रहे।
गृहमंत्री ने बताया कि मणिपुर में हिंसा के मामले में 14,898 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और 11,006 FIR दर्ज की गई हैं। उन्होंने 4 मई को वायरल हुए एक वीडियो को भी लेकर यह कहा कि वह समाज पर एक धब्बा है। शाह ने यह भी बताया कि वीडियो सामने आने के बाद 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चल रहा है।
उन्होंने अपने राज्य मंत्री नित्यानंद के मणिपुर दौरे के बारे में भी बताया, जहाँ उन्होंने सुरक्षा स्थिति का आकलन किया और बॉर्डर सुरक्षित करने के लिए कई माध्यमों का प्रयास किया है। वे मैतेई और कुकी समुदाय से बातचीत करने का संकेत दिया और हिंसा के खिलाफ जवाब देने की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया।
मणिपुर पर क्या बोले पीएम मोदी?
“प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा: शांति की दिशा में साझा प्रयास”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मणिपुर के लोगों को आश्वासन दिया कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हिंसा प्रभावित राज्य में शांति की स्थापना के लिए काम कर रहे हैं। वह इस अवसर पर महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों के दोषियों को कड़ी सजा देने की बात कहते हुए बोले। वह यह भी माना कि उनके लिए नॉर्थ ईस्ट केवल एक क्षेत्र नहीं, बल्कि उनके जिगर का टुकड़ा है।
पीएम मोदी ने अपने दौरे के दौरान दो घंटे से अधिक का भाषण दिया, जिसमें कांग्रेस पार्टी ने मणिपुर के बारे में चर्चा करने की मांग की। इस दौरान, जब कांग्रेस के सांसद वॉक आउट करने लगे, तो पीएम मोदी ने उन्हें उनकी पोल खोलते हुए कहा कि जिनका भरोसा नहीं होता, वे सुनाने के लिए तैयार होते हैं, लेकिन उनके पास सुनने की धैर्य नहीं होती। उन्होंने जारी रखा कि असत्य बोलने वालों की पहचान होती है, और उन्हें देश की उम्मीदों से अधिक नहीं उम्मीद कर सकता।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान मणिपुर पर चर्चा के बारे में भी व्यक्त विचार दिए, जहाँ उन्होंने साझा किया कि वे चाहते थे कि चर्चा विस्तारपूर्ण हो, लेकिन कांग्रेस पार्टी के सांसदों का व्यवहार इस चर्चा में रस नहीं था। वे महत्वपूर्ण बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों के दोषियों को कड़ी सजा देने के लिए उनका संकल्प दृढ़ है और उन्हें देश की आवश्यकताओं का संवेदना है।
मणिपुर में क्यों फैली हिंसा?
“मणिपुर: विभाजन और आशा के बीच उबलती हिंसा”
मणिपुर में फैली हिंसा के मध्य में मैतेई और कुकी समाज के बीच एक दुखद विभाजन दर्शाई दे रहा है। मैतेई समुदाय ने वर्षों से अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल होने की मांग रखी है। इस मुद्दे के परिणामस्वरूप, मणिपुर हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था जिसमें उन्होंने राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को भी अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की मांग को विचार करने की थी।
कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ, तीसरी मई को मणिपुर की ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन’ (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ आयोजित किया था। इस रैली के माध्यम से मैतेई समुदाय के अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की मांग के खिलाफ प्रदर्शन किया गया था। यह प्रदर्शन दुर्भाग्यवश, आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प में बदल गया।
इस घटना के बाद से मणिपुर राज्य में लगातार हिंसा की घटनाएं दर्ज की जा रही हैं। अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घरों को जलाकर नष्ट कर दिया गया है। इस विवाद से उभरी हिंसा के परिणामस्वरूप, 50 हजार से अधिक लोग बेघर हो चुके हैं और वे अब राहत शिविरों में आश्रय ढूंढ रहे हैं। इस मामले में शांति की स्थापना के प्रति सरकारों के प्रयासों के बावजूद, मणिपुर राज्य के वातावरण में विभाजन और आशा के बीच एक संकटपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो रही है।