हाइलाइट्स
पहली बार नेताओं के अलावा शहर में किसी शिक्षक की श्रृद्धांजलि के पोस्टर, बैनर, कटआउट और होर्डिंग्स लगे
चेहरे पीपी सर की यादों में गमगीन थे, गला रूंधा हुआ था, आंखें रोने की वजह से लाल हो गई थीं.
मुख्यमंत्री ने किया ऐलान, नए विश्वविद्यालय परिसर में एक कक्ष का नामकरण स्व. पुष्पेंद्र पाल सिंह की स्मृति में किया जाएगा.
भोपाल. दिन भर की तपिश के बाद ढलती शाम में मौसम रूहानी सा हो गया. तेज हवाएं सरसराते हुएआंखों की नमी सूखा रही थी. फिजा भी जज्बाती हो गई. अजीब सी खामोशी तैर रही थी. लेकिन पहली बार भोपाल में जगह-जगह लगे होर्डिंग्स पर मुस्कान बिखेरती आदमकद तस्वीर से नजरें ठहर जा रही थीं.
यह तस्वीर पत्रकारिता के छात्रों के द्रोणाचार्य, उनके गुरु, उनके दोस्त और मार्गदर्शक प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह की. छात्रों के बीच उर्फीयत पीपी सर और बाबा की थी. जैसे-जैसे लोग एमपी नगर प्रेस कॉम्पलेक्स स्थित माखनलाल चतर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय की ओर बढ़े. पीपी सर की कई तस्वीरों और उनके जीवन के विभिन्न आयामों को बताते बड़े-बड़े कटआउट, फ्लेक्स, बैनर और होर्डिंग्स से सड़कें सजी हुई मिलीं. ऐसा पहली बार था कि भोपाल में किसी नेता के अलावा किसी शिक्षक के लिए भी होर्डिंग्स से शहर पट गया हो. मंगलवार शाम विश्वविद्यालय परिसर में सिंह को श्रृंद्धाजलि देने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. उन्होंने सात मार्च 2023 को हार्टअटैक की वजह दुनिया को अलविदा कहा था. परिजन, छात्र और साथी ही नहीं, वरन समाजसेवी, राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स, साहित्यकर्मीं समेत आमजन भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. कोई दिल्ली से आया था तो कोई जयपुर से. देशभर में फैले उनके चाहने वालों का सैलाब परिसर में खचाखच भरा था. चेहरे पीपी सर की यादों में गमगीन थे, गला रूंधा हुआ था, आंखें रोने की वजह से लाल हो गई थीं. मगर अपने पसंदीदा शिक्षक की स्मृतियां बार-बार उन्हें गर्व की अनुभूति करा रही थीं. मंच पर सिंह के माता-पिता, भाई केपी सिंह, बहन योगिता, बेटा शिवपाल, बेटी शानू कई बार भावुक हुए, जज्बाती हुए. ऐसी ही कैफियत पत्रकारिता में उनसे दीक्षित पत्रकारों और छात्रों की थी. उधर, पुष्पेंद्र पाल सिंह को देश भर में श्रृद्धांजलि देने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में शुक्रवार शाम 4 बजे भोपाल के गांधी भवन में भी समस्त विद्यार्थियाें, नागरिक संस्थाओं, संगठनों और मित्रों द्वारा स्मृति सभा का आयोजन किया गया है.
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
छात्रों के सब कुछ पीपी सर की याद में शहर में लगे कटआउट
यह भी पढ़ें : शर्मनाक! करीला माता मेले में राई नृत्यांगनाओं से दूसरों को एड्स न फैले, इसलिए एचआईवी टेस्ट किए
जुंबा पर सिर्फ एक ही बात, आप क्यूं इतनी जल्दी चले गए
‘इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल’… यह पुष्पेंद्र पाल सिंह का पसंदीदा भजन था, जिसके बोल मंच से सुनाई दे रहे थे. उन पर लिखी किताब का विमोचन भी हुआ तो उसके कवर पेज पर भजन के साथ लिखा था ‘अलविदा बाबा’.. इसी मंच पर वक्ता आते और अपने किस्से सुनाते. कुछ भावशून्य हो जाते, जुबान लड़खड़ा जाती. आवाज ही नहीं निकलती. कुछ उनकी यादों में ऐसे खो जाते कि इसे व्यक्त करने के लिए शब्द अटक जाते. एक ही दिक्कत, शब्द साधक पुष्पेंद्र के लिए भाव तो खूब हैं पर अल्फाजों से वह बयां नहीं किए जा सकते. मंच से नीचे मौजूद बाकी लोगों के भी किस्से थे, अफसाने थे. फिर भी, जुबां पर सिर्फ एक ही बात बार-बार आकर ठहर रही थी. आप क्यूं इतनी जल्दी चले गए. लोग पीपी सर की स्मृतियों में खो गए. उनका हर फलसफा जेहन में उतर रहा था.

शहर के विभिन्न इलाकों, चौराहों पर पुष्पेंद्र पाल सिंह की स्मृति में होर्डिंग्स लगाए गए हैं.
कभी मना नहीं किया तो ईश्वर को कैसे करते
सभा में आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिन पहले पुष्पेंद्र पाल सिंह से हुई मुलाकात के पलों को याद करते हुए कहा, यह कटु सत्य है कि एक दिन जाना तो सबको है, लेकिन यह नहीं पता था कि पुष्पेंद्र सर इस तरह से इस दुनिया से चले जाएंगे. वे ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कभी किसी भी काम के लिए मना नहीं किया. शायद वो उस रात भी ईश्वर को मना नहीं कर पाए और एक बुलावे पर ही इस लोक को छोड़ कर चले गए.
प्रेग्नेंट लेडी के लिए बस में रात भर खड़े-खड़े सफर किया
पीपी सर क्या थे…यह सब जानते हैं. लेकिन फिर भी सभा में कुछ ऐसे किस्से भी सामने आए जिनसे बाबस्ता होना जरूरी है.
1. बीएचयू में पुष्पेंद्र पाल सिंह के साथ पढ़े और वर्तमान में दूरदर्शन के उपनिदेशक समाचार सत्येंद्र शरण ने कहा कि बीएचयू बनारस से जबलपुर तक आने के लिए राज्य परिवहन की ओवरनाइट बस चलती थी. सुबह यह कटनी पहुंचती थी. यहां से पुष्पेंद्र दूसरी बस से सागर जाते थे. एक बार, इसी बस से आ रहे थे. बस ठसाठस भरी थी. अनमना के आगे एक महिला चढ़ी. पुष्पेंद्र खड़े हो गए और सीट दे दी. रात भर खड़े रहकर सफर किया. मैंने पूछा तो कहा कि वह गर्भवती थी, उसे ज्यादा जरूरत थी.
2. पुणे से आए विष्णु चाटके ने अपना किस्सा शेयर किया. उन्होंने कि वे भोपाल में एसएसबी का इंटरव्यू देने आए थे. इसमें फेल हो गए. दो-तीन दिन स्टेशन पर रुके रहे. आगे क्या करना है, पता नहीं था. इसी बीच एक दिन विज्ञापन देखा. इसमें सेंट्रल कॉनिकल अखबार में ट्रांसलेटर की जरूरत थी. मैं वहां चला गया. यहां बताया गया कि अच्छा लिखते हो. कोर्स कर लो. लेकिन तब तक अक्टूबर आ चुका था. एडमिशन का टाइम निकल गया. फिर एक साथी ने कहा कि पीपी सर से मिल लो. मैं उनसे मिला. उन्होंने पूछा किसलिए आए? मैंने कहा क्लास अटेंड करना चाहता हूं. उन्होंने कहा-कर लो. लेकिन यह परमिशन जब तक रहेगी तब तक कोई शिकायत नहीं आए. और इस तरह बिना एडमिशन के क्लास में बैठकर पत्रकारिता पढ़ने लगा. बाद में जनर्लिज्म से मूव कर एडवेंजर फील्ड में आ गया. सर की सीख और आर्शीवाद की वजह से पूरे भारत में हम अकेले हैं जिन्होंने पृथ्वी के सर्कल की यात्रा की है. इस दौरान 5 महाद्वीपों के 35 देशों की यात्रा की.
3. पत्रकार और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय सिंह ने कहा- एमसीयू में पुष्पेंद्र ने मुझे पढ़ाने के लिए बुलाया. मुझे वे बेहतर इंसान लगे. मुझसे उनका इतना ही परिचय था, लेकिन उस परिचय को उन्होंने हमेशा जिंदा रखा. वह मेरे साथ अनजान सा रिश्ता बनाकर रहे. जब भी मुझे जरूरत पड़ी, तो उन्होंने भरपूर मदद की.
4. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पीयूष बबेले बोले- पीपी सर सिर्फ मेरे गुरु नहीं थे, वह पिता तुल्य थे. मैं 2002-2004 में माखनलाल यूनिवर्सिटी में पढ़ा. यह कहना कठिन है, मैं बहुत जगह पढ़ा, लेकिन ऐसा गुरु देखा नहीं. मुझे यहां से निकले हुए 20-22 साल हो गए. तब भी उनकी गुरुता बरकरार थी. हाल में माताजी के पास बैठा था. आपने एक शब्द कहा कि ऐसा लगा जैसे पिचकारी दबा दी हो, रंग निकल गया. यूनिवर्सिटी उन्होंने ऐसी बदल दी थी, छात्रों की नौकरी के लिए काम करते रहे. नौकरी लगने के बाद भी जिस तरह समझते थे, वैसे कोई घर का बंदा क्या करेगा?
5. पुष्पेंद्र पाल सिंह के छोटे भाई केपी सिंह ने कहा कि भाईसाहब को काम का जुनून था. सबके लिए तैयार रहना, सबकी चिंता करना. रात को तीन बजे भी फोन आता तो वे उठाते और मदद करते. वे कहते थे कि यदि एक फोन से किसी का काम हो जाए तो तुरंत करना चाहिए.

श्रृद्धांजलि सभा में पुष्पेंद्र पाल सिंह की स्मृति में उनके जीवन पर आधारित किताब का विमोचन किया गया.
यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश के भाजपा विधायक की गोवा में कालगर्ल से पिटने वाली खबर पर पुलिस का बड़ा खुलासा, जानिए पूरी सच्चाई
सिंह के नाम से मध्यप्रदेश सरकार देगी पुरस्कार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पुष्पेंद्र पाल सिंह को बिसनखेड़ी में बने माखन लाल विश्वविद्यालय के नवीन भवन में जाना था और पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे युवाओं को बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना था. हालांकि, असमय निधन के कारण ऐसा नहीं हो सका. अब जल्द ही नए विश्वविद्यालय परिसर में एक कक्ष का नामकरण स्व. पुष्पेंद्र पाल सिंह की स्मृति में किया जाएगा. यहां उनके लेख और व्याख्यान के संग्रह को प्रकाशित करने के साथ ही व्याख्यान माला आयोजित की जाएगी. पत्रकारिता के क्षेत्र में नवाचार करने वालों को पुष्पेंद्र पाल सिंह की स्मृति में प्रति वर्ष सम्मानित किया जाएगा. कार्यक्रम में पीपी सर के जीवन पर आधारित “कहानियां हजार, एक किरादर” मूवी प्रदर्शित की गई. कार्यक्रम में एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश, वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर, पब्लिक रिलेशन सोसायटी के अजीत पाठक, पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष राखी तिवारी, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर, बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर, मंत्री विश्वास सारंग, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, समेत भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Bhopal latest news, Bhopal News Updates, Madhya pradesh latest news, Madhya Pradesh News Updates, Tribute
FIRST PUBLISHED : March 15, 2023, 21:43 IST