Adani-Hindenburg case update- अडानी-हिंडनबर्ग केस: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान! रिपोर्ट को नहीं मान सकते सच, जानिए क्यों!….
हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ‘हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को सत्य बयान के रूप में नहीं माना जा सकता,’ सेबी को जांच के लिए दिया आदेश।
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी मामले पर फैसला सुरक्षित रखा: आज हिंडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप के मामले की सुनवाई हुई। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में किए गए खुलासे को लेकर याचिकाकर्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को सत्य बयान के तौर पर नहीं मान सकते हैं। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट की सत्यता परखने का कोई साधन नहीं है, जिस कारण उसने SEBI से इस मामले की जांच करने को कहा है। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
एससी के बेंच ने कहा कि हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट को तथ्यात्मक तौर से सही मानने की आवश्यकता नहीं है। सेबी इसकी जांच कर रही है। वहीं दूसरी ओर याचिका दायर करने वालों का कहना है कि बाजार नियामक SEBI की गतिविधियां संदिग्ध हैं, क्योंकि उनके पास 2014 से ही पूरी डिटेल है। उनका दावा है कि खुफिया निदेशालय (DRI) ने 2014 में सेबी अध्यक्ष के साथ पूरी डिटेल शेयर किए थे।
सेबी की जांच पर संदेह के लिए साक्ष्य कहां?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि सेबी (SEBI) की जांच पर संदेह करने वाले साक्ष्य कहां हैं? यह सवाल तब किया गया जब याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सेबी ने जांच पूरी कर ली है, लेकिन खुलासा नहीं किया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच से पहले ही सेबी की जांच का आंकलन कैसे कर सकते हैं।
इसके पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी की जांच में सुधार करने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता हो सकती है और उन्हें सहायता के रूप में बुलाया जा सकता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेबी को चार हफ्तों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा जिसमें उन्हें उन साक्षात्कारों और सबूतों की विस्तृत जानकारी देनी होगी जो उन्होंने अडानी ग्रुप के मामले में किए हैं।
यह फैसला आम नागरिकों के बीच अडानी-हिंडनबर्ग केस में बढ़ती हुई उत्सुकता को शांति देने का प्रयास करने के रूप में उत्कृष्ट है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सार्वजनिक न्याय तंत्र के विश्वास को मजबूती प्रदान करता है और सभी प्रतिभागियों को समान न्याय की सुनिश्चितता देता है।
सेबी ने कहा सिर्फ 10 दिन की देरी में जांच हुई पूरी
सेबी के सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि एक अवमानना याचिका दायर की गई थी, जिसमें सेबी के सदस्यों के खिलाफ दावा किया गया है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस याचिका की जांच को सिर्फ 10 दिनों की देरी में पूरा किया गया है।सोलिसिटर जनरल ने बताया कि जांच का आयोजन तेजी से किया गया और सभी आवश्यक अंशों को मधुर रूप से समीक्षित किया गया। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से यह अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे अब तैयार हैं अपनी जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से चार हफ्ते के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सेबी को इस रिपोर्ट में सभी विवादित मुद्दों का समाधान करना होगा और सुप्रीम कोर्ट को यह दिखाना होगा कि सेबी ने न्यायिक प्रक्रिया का पूरा पालन किया है।
इससे पहले यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चर्चा के लिए आया जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें विभिन्न आरोप उठाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेकर सुनवाई करने का निर्णय लिया और न्यायिक प्रक्रिया की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए सेबी को जांच का कार्य सौंपा है।
कब आई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
जानिए कैसे 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म, हिंडनबर्ग, ने गौतम अडानी की सभी कंपनियों पर एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कई गंभीर आरोप उठाए गए थे। इस रिपोर्ट के आगमन के बाद, अडानी ग्रुप ने इसे पूरी तरह से झूठ बताया था। रिपोर्ट के प्रकट होने के बाद, अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में बड़ी तेजी से गिरावट आई थी, और इनकी संपत्ति में भी तगड़ा नुकसान हुआ था। इस घड़ी में मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है, और अब इस मुद्दे की सुनवाई जारी है।
सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचे हिंडनबर्ग रिसर्च और अडानी ग्रुप के बीच विवाद के मामले में, कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुरक्षित रखा है। हिंडनबर्ग ने गौतम अडानी की कंपनियों के खिलाफ जारी की गई रिपोर्ट में कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जानकारी को सत्यापित करने का आदेश दिया है।
इसके परंतु, अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट के खिलाफ तत्काल विरोध दर्ज किया और इसे झूठा बताया। सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने इस मुद्दे पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है और सेबी को इस मामले की जांच करने का कार्य सौंपा है।
सॉलिसिटर जनरल के मुताबिक, सेबी ने इस मामले की जांच को तेजी से पूरा किया है और उन्होंने दावा किया है कि रिपोर्ट में उठाए गए सभी आरोपों की सटीकता को सत्यापित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से इस मामले की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है और यह निर्णय सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि न्यायिक प्रक्रिया का पूरा पालन हो रहा है या नहीं।