Repo Rate Unchanged : RBI ने दिया ‘लोन लेने वालों’ को राहत, 6.5% पर जारी रही रेपो रेट
Repo Rate Unchanged : RBI की स्थिरता से महंगाई पर नियंत्रण, 2022 मई से अब तक 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोत्तरी स्थगित लेकिन महंगाई पर कंट्रोल में आने पर इस बढ़ोत्तरी पर ब्रेक लगा दिया और फरवरी 2023 के बाद से अब तक ये स्थिर रखी गई है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगस्त माह की बैठक के परिणाम आज घोषित किए गए हैं। गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महत्वपूर्ण समिति की बैठक के नतीजों को साझा करते हुए बताया कि इस बार भी नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट, जो करंसी बाजार में कुल मूद्रास्त्र उपलब्ध कराने वाले बैंकों के लिए कर दर के रूप में प्रयुक्त होता है, 6.5 फीसदी पर ही बरकरार रहेगा। इससे आम लोगों के लिए होम लोन या ऑटो लोन लेने पर इश्यूज़ की तरह कोई नया बोझ नहीं बढ़ेगा।
गवर्नर दास ने यह संकेत दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब दुनिया के स्थितिगत मामलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत दुनिया के पांचवें सबसे बड़े अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ ग्लोबल विकास में भी अपना 15 फीसदी का योगदान दे रहा है। उन्होंने यह भी मान्यता दी कि भारत आगामी समय में विश्व की मुख्य आर्थिक शक्तियों में से एक बनने की दिशा में अग्रसर है।
आजकल की अथक प्रौढ़ता की माध्यमिक अवधि में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने सदस्यों के द्वारा आयोजित मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के परिणामों का आलंब प्रस्तुत किया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बार भी रेपो दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, जिसका परिणाम है कि यह दर 6.5 फीसदी पर ही बनी रहेगी। यह निर्णय उद्यमिता को समर्थन देने का एक तरीका है, क्योंकि यह आम लोगों को आर्थिक उत्तराधिकारिता और वित्तीय स्थिरता की दिशा में सुरक्षित रखने का संकेत है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के मामूल्यों की सुरक्षा के लिए, गवर्नर दास ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव की घोषणा नहीं की है। यह फैसला वित्तीय प्रक्रियाओं को स्थिरता और सुरक्षा की दिशा में दृढ़ीकरण करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती से संजोने में मदद करेगा।
फरवरी महीने से रेपो रेट में बदलाव नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे देश में महंगाई के उच्च स्तरों को रोकने की कवायद को आगे बढ़ाने का संकेत मिला। इसे तय दायरे में वापस लाने के लिए, RBI ने मई 2022 के बाद से नौ बार रेपो दर में वृद्धि की थी, जिससे यह दर 250 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ गई थी। हालांकि, महंगाई पर कंट्रोल के साथ ही, केंद्रीय बैंक ने इस वृद्धि को नियंत्रित किया और फरवरी 2023 के बाद से रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह निर्णय वित्तीय स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा की सुरक्षा में मदद करने के उद्देश्य से लिया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, RBI द्वारा रेपो दर को स्थिर रखने का फैसला अच्छी तरह से समझा जा सकता है, क्योंकि यह वित्तीय प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता और उद्यमिता की दिशा में भारतीय अर्थव्यवस्था को सहायक हो सकता है। पिछली अप्रैल और जून महीनों में होने वाली बैठकों में भी RBI ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था, जिससे दिखता है कि यह दिशा में दृढ़ निर्णय है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर को बिना किसी बदलाव के स्थिर रखने के साथ ही, विभिन्न अन्य नीतियों को भी बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई ने एमएसएफ (Monetary Policy Committee) के माध्यम से बैंक रेट को 6.75 फीसदी और एसडीएफ (Standing Deposit Facility) रेट को 6.25 फीसदी पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी ग्रोथ की आंकड़ानुमान 6.5 फीसदी रखने के साथ ही, अगले साल 2025 की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ानुमान 6.6 फीसदी किया गया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में रियल GDP ग्रोथ आठ फीसदी तक बढ़ सकती है।
टमाटर की कीमतों ने बढ़ाई चिंता
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने MPC बैठक के नतीजों की घोषणा करते समय देश में टमाटर की कीमतों के बढ़ने का जिक्र किया। उन्होंने उज्ज्वल भविष्य के बारे में चिंता व्यक्त की है क्योंकि टमाटर समेत अन्य सब्जियों की कीमतों में वृद्धि ने आम जनता के साथ-साथ नीति निर्माताओं की भी चिंता बढ़ा दी है। वे इस वर्ष के जुलाई-अगस्त महीने में महंगाई में वृद्धि की संभावना बताते हैं जिससे सब्जियों की कीमतों में भी वृद्धि होने की संभावना है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024 के लिए खुदरा महंगाई दर की अनुमानित दर को 5.4 फीसदी रखा है, जो पहले 5.1 फीसदी था।
रेपो रेट बढ़ने से बढ़ जाती है लोन की EMI
रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) दो महत्वपूर्ण मौद्रिक उपकरण होते हैं जिनका उपयोग आरबीआई (RBI) विभिन्न मौद्रिक नीतियों को कार्यान्वित करने में करता है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस पर बैंकों को आरबीआई को पैसे रखने पर ब्याज देना होता है। रेपो रेट की कमी से बैंकों के लोन की EMI में कमी होती है, जबकि रेपो रेट में वृद्धि के कारण ईएमआई में बढ़ोतरी भी देखने को मिलती है। जब देश में महंगाई आरबीआई के निर्धारित सीमा से बाहर निकलती है, तो आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि के माध्यम से आर्थिक स्थिति को संतुलित करने का प्रयास कर सकती है।
महंगाई और रेपो रेट में क्या है कनेक्शन?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई नियंत्रण के लिए अपने नीतिगत उपकरणों का प्रयोग करता है, जिसमें रेपो रेट भी शामिल है, जिसके माध्यम से उच्च महंगाई दर पर काबू पाया जा सकता है और इसके साथ ही बैंकों के लोनों की दरें भी प्रभावित होती हैं। जब रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंकों के लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे व्यक्तिगत ऋण और उद्यमिता को प्रभावित हो सकता है। यह महंगाई को नियंत्रित करने के प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम होता है, लेकिन इससे उद्योग और व्यापार में निवेश में कमी आ सकती है, जो विपणन और रोजगार के प्रति प्रभाव डाल सकती है।
इसके साथ ही, रिवर्स रेपो रेट भी मौद्रिक नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसके माध्यम से आरबीआई अन्य बैंकों को डिपॉजिट पर ब्याज देता है। इसका उद्देश्य बैंकों के बीच अधिक वित्तीय लिक्विडिटी बनाने और अधिक पैसे की उपलब्धता सुनिश्चित करना होता है।
महंगाई में वृद्धि के समय में, जैसे कि जून में, भारतीय अर्थव्यवस्था को सहायक नीतियों की आवश्यकता हो सकती है ताकि संभावित असंतुलन को संज्ञान में लेते हुए उचित कदम उठाए जा सकें।
महंगाई को लेकर विशेषज्ञों का ये है अनुमान
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपनी ईकोरेप्ट रिपोर्ट में खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी के कारण खुदरा महंगाई के आंकड़ों की वृद्धि का अनुमान दिया है। इसके अनुसार, टमाटर और प्याज के दामों में वृद्धि के चलते जुलाई 2023 में मासिक आधार पर 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे खुदरा महंगाई की दर 6.7 फीसदी तक पहुंच सकती है। यह आंकड़े 14 अगस्त को जारी किए जाने की उम्मीद है, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर बीते महीने के विश्लेषण का प्रकटीकरण होगा।
पिछले एक महीने से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद, देश भर में टमाटर की कीमतों में उच्चतम स्तर पर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसका परिणामस्वरूप, खुदरा महंगाई में उछाल आ सकती है, जिसका बीते कई महीनों से दिखारा जा रहा है। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि महंगाई से निपटने में बढ़ती हुई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।